एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
ठंड के मौसम में बथुआ भारी मात्रा में पाया जाता है। बथुआ का उपयोग शाक, दाल, सब्जी के साथ होता है। इसमें कई औषधीय गुण हैं। साथ ही इससे शरीर को लोहा, पारा मिलता है। बथुआ प्रतिदिन खाने से गुर्दों में पथरी नहीं होती। बथुआ आमाशय को बलवान बनाता है।
मासिक धर्म रुका हुआ हो, तो दो चम्मच बथुए के बीज एक गिलास पानी में उबालें। आधा रहने पर छानकर पी जाएं। मासिक धर्म खुलकर साफ आएगा। बथुआ आमाशय को ताकत देता है, कब्ज दूर करता है। बथुए की सब्जी दस्तावर होती है, कब्ज वालों को बथुए की सब्जी नित्य खाना चाहिए। शरीर में ताकत आती है और स्फूर्ति बनी रहती है।
पथरी हो तो एक गिलास कच्चे बथुए के रस में चीनी मिलाकर नित्य सेवन करें, तो पथरी टूटकर बाहर निकल आएगी। बथुआ के सेवन से पेशाब में जलन, पेशाब के बाद होने वाला दर्द, टीस उठना ठीक हो जाता है। कच्चे बथुए का रस एक कप में स्वादानुसार नमक मिलाकर एक बार नित्य पीते रहने से कृमि मर जाते हैं। बथुए के बीज एक चम्मच पिसे हुए शहद में मिलाकर चाटने से भी कृमि मर जाते हैं, तथा रक्तपित्त ठीक हो जाता है।