समीक्षा- फिल्म ‘उड़ता पंजाब’
अमित द्विवेदी,
रेटिंग- ***/5
निर्माता- बालाजी मोशन पिक्चर्स/फैंटम फिल्म्स
लेखक-निर्देशक- अभिषेक चौबे
संगीत- अमित त्रिवेदी
तमाम विवाद के बाद अंततः अभिषेक चौबे द्वारा निर्देशित फ़िल्म उड़ता पंजाब रिलीज़ हो गई। सेंसर बोर्ड और फ़िल्म के निर्माताओं के विवाद को सुलझाने के लिए उच्च न्यायालय को भी हतक्षेप करना पड़ा। आइए जानते हैं अभिषेक द्वारा डायरेक्ट की गई फ़िल्म उड़ता पंजाब है कैसी?
कहानी-
फ़िल्म उड़ता पंजाब में ड्रग्स की बुरी लत की वजह से राज्य की सामाजिक स्थिति को दर्शाने की कोशिश की गई है। ड्रग्स की वजह से युवाओं पर क्या असर पड़ रहा है, इसी को सिनेमाई शक्ल दी है निर्देशक अभिषेक चौबे ने। फ़िल्म मशहूर पॉप सिंगर टॉमी सिंह (शाहिद कपूर), पंजाब की एक डॉक्टर और सोशल वर्कर प्रीत साहनी (करीना कपूर), बिहार से पंजाब आई लड़की मेरी जेन (आलिया भट्ट) और इंस्पेक्टर सरताज सिंह (दिलजीत दोसांझ) के इर्द गिर्द घूमती है। टॉमी सिंह की लाइफस्टाइल पॉप स्टार की तरह है, जिसकी संगत में रहने वाले ज़्यादातर युवा नशेड़ी होते हैं या हो जाते हैं।
ड्रग्स की लत होने की वजह से टॉमी को काफी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है, फिर भी उसे यह बात समझ में नहीं आती। एक रात जब उसे उसके घर से पुलिस उठा कर जेल में बंद कर देती हैं तो वहाँ हुए एक वाक़ये से उसे समझ में आता है कि उसकी वजह से कितने युवाओं पर बुरा असर पड़ रहा है।
यूँ तो इंस्पेक्टर सरताज ड्रग सप्लायर्स से नाके पर मिले पैसे से खुश है लेकिन उसकी सोच और ज़िन्दगी तब करवट लेती है, जब उसे पता चलता है कि उसके भाई की भी ज़िन्दगी इन्ही ड्रग सप्लायर्स की वजह से बर्बाद हो रही है। तब जाकर वह डॉक्टर प्रीत के साथ इन अपराधियों के खिलाफ मोर्चा शुरू करता है।
मेरी जेन (आलिया), बिहार से आई हुई एक लड़की जो हॉकी में अपना नाम कमाना चाहती है, पंजाब पहुँचती है। जहां उसे गुज़ारे के लिए एक गाँव में मज़दूरी करने को मिल जाता है। एक रात खेत में उसे एक पोटली मिलती है, कुछ देर बाद में उसे पता चलता है कि उसमे ड्रग है, जो काफी कीमती है। एक ड्रग एडिक्ट से उसे उसके खरीददार का पता चलता है, जिसे बेचने वो निकल पड़ती है। और यहीं उसका जीवन उलझ कर रह जाता है। इन चारों किरदारों की ज़िन्दगी का मकसद एक समय के बाद ‘ड्रग दी माँ दी’ है।
फ़िल्म इंटरवल के पहले काफी धीमी रफ़्तार से आगे बढ़ती है लेकिन इंटरवल के बाद यह दर्शकों को हंसाने-रुलाने में कामयाब नज़र आती है। निर्देशक अभिषेक ने बड़ी बारीक़ी से पंजाब की समस्याओं को समझा है, जो उनकी फ़िल्म में साफ़ नज़र आती है।
अभिनय-
फ़िल्म में सभी मुख्य कलाकरों ने अच्छा काम किया है। खासकर आलिया ने बेहतरीन अभिनय किया है। भोजपुरी लहज़े को आलिया ने जैसे आत्मसात कर लिया है। शाहिद कई जगहों पर बनावटी नज़र आए हैं लेकिन जैसे जैसे फ़िल्म समाप्ति की ओर बढती है शाहिद प्रभावी होते जाते है। दिलजीत दोसांझ और करीना की केमिस्ट्री भी प्रभावी है। सतीश कौशिक हमेशा की तरह बेहतरीन हैं।
संगीत-
अमित त्रिवेदी का संगीत प्रभावित करता है। 7 में से 2 गानों को ऑडिएंस पहले ही पसंद कर चुकी है।
क्यों देखें-
ड्रग्स की वजह से देश की हो रही दुर्दशा को समझने के लिए। निर्देशक और निर्माता की हौसला आफजाई के लिए जिन्होंने इस विषय पर फ़िल्म बनाने की हिम्मत जुटाई।