नृपेंद्र कुमार मौर्य | navpravah.com
नई दिल्ली | हम सभी ने कभी न कभी तर्जनी उंगली की ताकत का अनुभव किया है। यह उंगली दिशा दिखाने, कुछ सिखाने या बस ध्यान आकर्षित करने के काम आती है। और छोटी उंगली, उसकी तो बात ही निराली है—कभी ‘चुप रहो’ का इशारा, कभी ‘मेरे पास आओ’।
फिर आती है वह उंगली, जो अक्सर विवादों में रहती है– बीच की उंगली। जब ये किसी को दिखाई जाती है, तो उसे अगला इंसान गाली समझता है; उसे देखते ही लोग ऑफेंड हो जाते हैं, बुरा मान जाते हैं. उंगली, जो अंग्रेजी की एक गाली बन गई है. मिडल फिंगर (middle finger), फ्लिपिंग द बर्ड (flipping the bird), भक यू (बूझे?) वगैरह-वगैरह भी कहा जाता है.
भाषा के साथ देह-भाषा भी विकसित होती है. कुछ मायने बदलते हैं, कुछ घटते-बढ़ते हैं. मगर बीच की उंगली के हक का सवाल है: ‘मैं ही क्यों?’ सिर्फ एक उंगली गाली कैसे बनी गाली? आइये जानते हैं इसका जवाब:
बीच की उंगली का इतिहास:
1415 का संघर्ष: एक कहानी यह कहती है कि 1415 में ब्रिटिश और फ्रेंच सैनिकों के बीच एक युद्ध हुआ। फ्रेंच सैनिकों ने अंग्रेजी आर्चरों की उंगलियां काटने का प्लान बनाया, ताकि वे तीर न चला सकें। लेकिन अंग्रेजों ने जीत हासिल की और फ्रेंच सैनिकों की तमन्ना पर पानी फिर गया तो उन्होंने बीच की उंगलियां दिखाकर फ्रेंच सैनिकों का मजाक उड़ाया। साथ में चिल्लाया – ‘प्लक यू (pluck yew)’. प्लक माने तरकश से तीर निकालना. कहा जाता है समय के साथ इसी प्लक का ‘प’ चुपके से किसी रोज ‘फ’ में बदल गया। यह कहानी थोड़ी मिक्स्ड लगती है, क्योंकि कई रिपोर्ट्स इसे सही नहीं मानतीं। फिर भी, यह कहानी यह दिखाती है कि कैसे एक इशारा भी इतिहास की धारा को बदल सकता है।
प्राचीन ग्रीस की कहानी: एक प्रसिद्ध घटना के अनुसार, डायॉजनीस ने डेमोस्थनीस (Demosthenes) नामक एक प्रसिद्ध ग्रीक राजनेता की आलोचना की थी। डेमोस्थनीस एक प्रभावशाली और लोकप्रिय वक्ता थे, जो अपने भाषणों के लिए प्रसिद्ध थे। डायॉजनीस ने उनके भाषणों की खामियों को उजागर करने के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया।
एक दिन, जब डायॉजनीस सार्वजनिक रूप से डेमोस्थनीस की आलोचना कर रहे थे, उन्होंने अपने दर्शकों के सामने बीच की उंगली दिखाकर एक तुच्छ इशारा किया। उनका इशारा इस बात को दर्शाता था कि डेमोस्थनीस का प्रभाव और उनके भाषण कितने निम्नस्तरीय थे। यह इशारा, जो आज भी एक अपमानजनक इशारा माना जाता है, डायॉजनीस ने एक तरह से डेमोस्थनीस की प्रतिष्ठा को चुनौती देने और उनका मजाक उड़ाने के रूप में इस्तेमाल किया।
एक और कहानी:
यूनिवर्सिटी ऑफ एलिनॉइस के प्रोफेसर थॉमस कॉनले ने इस ‘प्राचीन बेइज्जती’ पर रिसर्च की है| वो बताते हैं कि एक प्राचीन रोमन इतिहासकार ने भी इस बारे में लिखा था| बताया था कि जर्मन जनजाति के लोगों ने कभी चढ़ाई कर रहे रोमन सैनिकों को बीच की उंगली दिखाने का तोहफा दिया था|
वहीं, इससे पहले प्राचीन ग्रीक लोग जननांग को दर्शाने के लिए इस उंगली का इस्तेमाल किया करते थे. ऐसा भी बताया जाता है|
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यूनिवर्सिटी ऑफ कांसस के प्रोफेसर ऐंथनी कॉरबेइल इसका नाता प्राचीन रोम से भी जोड़ते हैं| वो भी यही बताते हैं कि करीब 400 BC के आसपास प्राचीन रोम में इस उंगली को दिखाने का मतलब एक तरह से धमकी देना और जननांग की नकल दिखाने जैसा ही था| हालांकि, कहा ये भी जाता है कि एकदम सटीक ये बता पाना मुश्किल है. किस देश या समय में इस ‘उंगली का उदय’ हुआ|
बताए गए उदाहरणों से बीच की उंगली वाले मामले की जड़ों को, प्राचीन ग्रीस और रोम से जोड़कर देखा जा सकता है| जहां इसे जननांग की नकल और विरोध के तौर पर दिखाने की बातें सुनने मिलती हैं|
मिडल फिंगर की मनोवैज्ञानिक ध्वनि:
बीच की उंगली का अपमानजनक उपयोग एक सांस्कृतिक विरासत की तरह विकसित हुआ है। यह उंगली न केवल अपमान का प्रतीक है, बल्कि यह मानव की भावनाओं और सामाजिक रिवाजों का भी अंश है। जब हम इसे दिखाते हैं, तो यह अक्सर गुस्से, असहमति या तिरस्कार का इशारा होती है—यह पूरी तरह से व्यक्तिगत और सांस्कृतिक संदर्भ पर निर्भर करता है।
बीच की उंगली ने एक लंबे और विविध इतिहास को अपने साथ संजोया है। यह उंगली केवल एक इशारा नहीं है, बल्कि यह सदियों की सांस्कृतिक और सामाजिक जटिलताओं की गवाही देती है। जब भी आप इसे दिखाएं, सोचिए कि आप एक अद्वितीय और पुरानी परंपरा को निभा रहे हैं।
क्या आपने कभी सोचा है कि एक मासूम सी उंगली इतने गहरे अर्थ और भावनाओं की वाहक हो सकती है? यह दर्शाता है कि भाषा और सांस्कृतिक प्रतीक किस तरह से बदलते हैं और हमारे सामाजिक व्यवहार को आकार देते हैं।