अनुज हनुमत | Navpravah.com
एक तरफ सूबे की योगी सरकार का कहना है कि कासगंज की स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है, लेकिन कासगंज हिंसा मामले को लेकर दूसरी तरफ बयानबाजी का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। अभी बरेली डीएम के पोस्ट से उठा तूफान थमा भी नहीं था कि एक और अधिकारी ने कासगंज हिंसा को लेकर फेसबुक बम फोड़ दिया है। सोशल मीडिया में पोस्ट की गई पोस्ट की मानें, तो बरेली डीएम के पोस्ट के बाद अब सहारनपुर की डिप्टी डायरेक्टर सांख्यिकी रश्मि वरुण के फेसबुक पोस्ट ने मामले में नई बहस खड़ी कर दी है। हालांकि विवाद के बाद उनके द्वारा ये फेसबुक पोस्ट हटा ली गई है।
इस महिला अधिकारी ने कासगंज हिंसा की तुलना सहारनपुर मामले से करते हुए सोशल मीडिया पर अपने मन की बात लिखी डाली। डिप्टी डायरेक्टर रश्मि वरुण ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा, “यह थी कासगंज की तिरंगा रैली। यह कोई नई बात नहीं है, क्योंकि अम्बेडकर जयंती पर सहारनपुर के सड़क दूधली में भी ऐसी ही रैली निकाली गई थी। उसमें से अम्बेडकर गायब थे या कहिए कि भगवा रंग में विलीन हो गये थे। कासगंज में भी ऐसा ही हुआ, तिरंगा गायब और भगवा शीर्ष पर। जो लड़का मारा गया, उसे किसी और समुदाय ने नहीं मारा, उसे केसरी, सफेद और हरे रंग की आड़ लेकर भगवा ने खुद मारा।”
पोस्ट में आगे लिखा है कि जो नहीं बताया जा रहा, वह यह है कि अब्दुल हमीद की मूर्ति पर तिरंगा फहराने की बजाए रैली में चलने की जबरदस्ती की गई। केसरिया, सफेद, हरे और भगवा रंग पर लाल रंग भारी पड़ गया। इस पोस्ट की चर्चा बड़े अफसरों में हो रही है। पोस्ट लिखने वाली महिला ने बरेली डीएम का भी समर्थन किया है। इमोजी के साथ डिप्टी डायरेक्टर ने लिखा है कि पाकिस्तान में जाकर नारे लगाकर मरना है क्या इन्हें। बरेली डीएम आर. विक्रम सिंह द्वारा अपना स्पष्टीकरण देते हुए फेसबुक पर की गई टिप्पणी को शेयर करते हुए भी रश्मि ने लिखा है कि देखिए सही बात को किस तरह अपना स्पष्टीकरण देना पड़ता है, सही इंसान को भी माफी मांगनी पड़ती है।
फिलहाल, इन अफसरों का रुख प्रदेश की भाजपा सरकार के लिए चुनौती बन रहा है, क्योंकि अभी डीएम बरेली का मामला निपटा नहीं है कि सहारनपुर की डिप्टी डायरेक्टर की पोस्ट चर्चा का विषय बन गई है। विपक्ष पहले ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खेाले है। वहीं अपनी पोस्ट पर विवाद बढ़ते देख डिप्टी डायरेक्टर ने कहा कि फेसबुक पोस्ट में ऐसी कोई बात नहीं लिखी गई है, जो किसी के खिलाफ हो। फिलहाल हमारे कहने का सिर्फ इतना आशय है कि गणतंत्र दिवस मनाने का सभी को अधिकार है। इसमें पहले या बाद में मनाने का कोई मतलब नहीं होना चाहिए। जैसा कि मुझे पता लगा है कि कासगंज में दोनों पक्षों के बीच 26 जनवरी मनाने को लेकर विवाद शुरू हुआ। व्हाट्सएप पर कोई गलत मैसेज चलता है, तो उसे रोकने की पहल नहीं होती, बल्कि वायरल होता चला जाता है। इससे माहौल बिगड़ने के हालात पैदा होते हैं। रही बात डीएम बरेली की, तो मेरा मानना है कि उन्होंने अपनी पोस्ट में ऐसा कुछ नहीं लिखा था, जिससे किसी की भावना को ठेस पहुंचे।
अब देखना होगा कि इन बयानों से कासगंज की स्थिति पर क्या फर्क पड़ता है। फिलहाल राजनीतिक गलियारों में इस मूद्दे पर रोटियां सेंकने की फिक्र भी बढ़ती जा रही है। फिलहाल, योगी सरकार ऐसे अधिकारियों पर सख्त रुख अख्तियार कर सकती है।