पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से आम जनता परेशान है और उन्हें अभी एक साल तक पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में कमी की उम्मीद छोड़ देनी चाहिए। क्योंकि, केंद्रीय वित्त सचिव हसमुख अढिया ने यह बात साफ़ कर दिया है कि भले ही पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाकर इसकी सबसे ऊँची कर दर 28 फीसदी लगा दी जाए, लेकिन फिर भी पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम नहीं होंगी।
अढिया ने आगे कहा कि पेट्रोल-डीजल पर कितना कर होना चाहिए, यह एक नीतिगत मामला है। इसमें लोकनीति का ध्यान रखा जाता है कि लोग कम वाहनों का उपयोग करें। इसी वजह से सरकार पेट्रोल-डीजल के भाव कम नहीं कर सकती। यही कारण है कि सरकार पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के बाद भी इनके कीमतों में ज्यादा कमी नहीं कर सकती है। वहीं अगले साल अप्रैल मार्च 2019 तक जीएसटी द्वारा देश को मिले राजस्व की स्थिति भी साफ़ हो जाएगी। इसके बाद ही सभी पहलुओं को देखते हुए पेट्रोल-डीजल पर जीएसटी की दर तय की जा सकेगी।
वित्त सचिव ने आगे कहा कि बजट के साथ जीएसटी का कोई लेना देना नहीं है। लिहाजा बजट में पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के अंतर्गत लाने का कोई विचार ही नहीं था। पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी पहले से ही कम कर दिया गया और इन पर सेस लगा दिया गया है। इन पैसों का इस्तेमाल राज्यों के इंफ्रास्ट्रक्टर के विकास को और मजबूत करने के लिए किया जाता है।