AIIMS ने दो साल पहले इंटरनेट एडिक्शन क्लीनिक की शुरुआत की थी, दो साल बाद क्लीनिक में इंटरनेट एडिक्शन के मरीज़ दो गुना हो चुके हैं, हर शनिवार चलने वाले इस क्लीनिक में हर सप्ताह 5 से 6 मरीज़ इंटरनेट एडिक्शन के आ रहे हैं।
वीडियो गेम्स खेलने या इंटरनेट का ज़्यादा इस्तेमाल से स्कूली बच्चों के मानसिक विकास पर असर पड़ रहा है, एम्स की इस ओपीडी में आने वालों में कॉलेज जाने वाले स्टूडेंट्स की संख्या अधिक है इनकी उम्र 16 से 25 साल है।
एम्स के साइकेट्री डिपार्टमेंट की एसोसिएट प्रोफेसर और क्लिनिकल साइकॉलिजी ओपीडी चलाने वाली डॉक्टर अर्चना भार्गव ने एक निजी चैनल को बताया कि, ऐसे बच्चों का एकेडमिक परफॉर्मेंस खराब हो जाता है तो छात्र स्कूल नहीं जाना चाहते हैं, उन्हें मोबाइल लेने पर बहुत ज्यादा गुस्सा आ जाता है।
उन्होंने कहा कि, अपने बच्चों को इंटरनेट एडिक्शन से बचाने के लिए जागरूकता की सख्त आवश्यकता है, मां बाप को ध्यान रखना चाहिए कि उनके बच्चे ज्यादा देर तक मोबाइल का इस्तेमाल ना करें, अकेलापन महसूस ना करें।
इसके अलावा देश के युवा जनसंख्या का 20 से 25 फीसदी युवा मानसिक रोग के शिकार हैं, जिसमें 5 फीसदी डिप्रेशन, 5 फीसदी मूड डिसऑर्डर और करीब 7 फीसदी तम्बाकू इस्तेमाल करने वाले हैं, वहीं 10 फीसदी युवा लाइफ टाइम प्रीवलेन्स के शिकार हैं।
पिछले साल जारी किए गए नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक, 18 से 29 साल के 10 फीसदी युवा आबादी मानसिक तौर पर बीमार हैं, इस आंकड़े के अनुसार, आधी मानसिक परेशानियां 14 साल की उम्र से शुरु होती है।
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