हेल्थ डेस्क. आज के समय जिसको देखो उसको जोड़ो के दर्द की बीमारी सता रही हैं। वहीं देखा जाये तो सर्दी के मौसम में इसका दर्द अत्यधिक बढ़ जाता हैं। इंसान इस जोड़ो के दर्द से नीचे बैठ नही पता हैं।
बता दें की हर मौसम अपने साथ कोई न कोई बीमारी लेकर जरूर आता है। सर्दियों में भी ये सिलसिला बदस्तूर जारी रहता है। सर्दियों के आगमन के साथ ही अस्थि रोग और गुर्दे के संक्रमण के मामलों में वृद्धि हो रही है। लेकिन सभी आयु वर्ग के व्यक्ति इन बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। वहीं बुजुर्ग वर्ग के लोगों को इसमें सबसे ज्यादा सावधान रहने की जरूरत होती है।
मौसम से संबंधित जोड़ों का दर्द आमतौर पर ऑस्टियोआर्थराइटिस और रुमेटाइइड गठिया से पीड़ित रोगियों में देखा जाता है और यह आमतौर पर कूल्हों, घुटनों, कोहनी, कंधों और हाथों को प्रभावित करता है। जोड़ों में बैरोकैप्टर्स नामक सम्वेदनशील तंत्रिकाएं होती हैं जो कि वायुदाब परिवर्तनों का पता लगाने में सक्षम होते हैं।
गठिया से पीड़ित रोगी वायुदाब परिवर्तनों के प्रति अधिक संवेदनशील लगते हैं। कम वायुदाब के साथ संयुक्त उच्च आर्द्रता भी बढ़े हुए जोड़ों के दर्द और कठोरता का एक अन्य कारण है।
व्यायाम एवं एक स्वस्थ दिनचर्या गठिया पीड़ित लोगों को दर्द से राहत देते हैं एवं मानसिक शक्ति बढ़ाते हैं, जो रोगी व्यायाम नहीं करते हैं वे हृदय रोग, मधुमेह, मोटापा और सीमित कार्यक्षमता जैसी अन्य गंभीर बीमारियों का जोखिम उठाते हैं।’
दरअसल आजकल के लोगों जीवनशैली बेहद गतिहीन है। लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठे रहने में बिताते हैं। ज्यादातर युवा कार्यस्थल पर एक गलत मुद्रा में बैठते हैं।
जहां इसके अलावा देर रात की शिफ्ट, धूम्रपान, कंप्यूटर के सामने लंबे समय तक बैठना और अनियमित खान-पान से आर्थोपेडिक्स और गुर्दे की बीमारियां हो रही हैं जो सर्दी के मौसम में अधिक सामने आती हैं। नतीजतन, अपेक्षाकृत युवा लोग ऐसी बीमारियों को विकसित कर रहे हैं और उनकी जीवन प्रत्याशा में कम से कम 5-7 वर्ष की कमी आई है।