इशिका गुप्ता| navpravah.com
नई दिल्ली | जज्बे को सलाम! एक सैनिक जिसने बॉर्डर पर देश के लिए अपने पैर खो दिया और अब देश के लिए पैराओलिंपिक्स में पदक भी ले आया। होकाटो होतोझे सेमा ने पैरालंपिक में देश का सिर गर्व से ऊंचा किया है। 40 वर्षीय होकाटो ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में मेंस शॉट पुट F57 इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। 14.65 मीटर का थ्रो करके उन्होंने इस इवेंट में तीसरा स्थान हासिल किया और देश के लिए 27वां पदक लाया।
होकाटो होतोझे सेमा कौन हैं?
पेरिस पैरालंपिक में मेडल जीतने के बाद से होकाटो सुर्खियों में हैं, और हर कोई उनके बारे में जानना चाहता है।
होकाटो की उम्र 40 साल है और वह नागालैंड से हैं। उनका जन्म 24 दिसंबर 1983 को एक साधारण परिवार में हुआ था।
होकाटो होतोझे सेमा के पिता एक किसान हैं और उनके चार बच्चे हैं, जिसमें होकाटो उनकी दूसरी संतान हैं। दिलचस्प बात यह है कि होकाटो ने महज 17 साल की उम्र में भारतीय सेना को जॉइन कर लिया था। बचपन से ही देश के प्रति उनके मन में गहरी लगन और जज्बा था, जिसकी वजह से उन्होंने सेना में शामिल होने का फैसला किया।
हालांकि, उनकी उम्मीदों को बड़ा झटका तब लगा जब 14 अक्टूबर, 2002 को एक काउंटर घुसपैठ ऑपरेशन के दौरान LOC पर एक माइन विस्फोट के चलते वे गंभीर रूप से घायल हो गए। इस हादसे में होकाटो को अपना बायां पैर गंवाना पड़ा।
इतने बड़े हादसे के बाद, जब लोग अक्सर अपने आप को खो बैठते हैं, होकाटो ने इतिहास रच दिया है। गंभीर चोट के बावजूद, उन्होंने एथलीट बनने के लिए अथक मेहनत की और अब उसके परिणाम देखने को मिल रहे हैं। होकाटो ने शॉट पुट F57 वर्ग की प्रतिस्पर्धा में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया है।