एनपी न्यूज़ डेस्क| navpravah.com
उच्चतम न्यायालय ने लव जिहाद की शिकार केरल निवासी हादिया को आज बड़ी राहत देते हुये शफीन जहां से उसकी शादी अमान्य घोषित करने का केरल उच्च न्यायालय का फैसला निरस्त कर दिया है।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने साथ ही यह भी कहा कि इस मामले में राष्ट्रीय जांच एजेन्सी अपनी जांच जारी रख सकती है।
यह मामला उस समय सुर्खियों में आया जब हादिया के पति शफीन जहां ने उसकी शादी अमान्य करार देने और उसकी पत्नी को माता पिता के घर भेजने के उच्च न्यायालय के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल 27 नवंबर को हादिया को उसके माता पिता की निगरानी से मुक्त करते हुए उसे कॉलेज में अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिये भेज दिया था। इस मामले में हादिया ने कहा था कि वह अपने पति के साथ ही रहना चाहती है।
इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने 23 जनवरी को राष्ट्रीय जांच एजेंसी को हदिया मामले में किसी भी आपराधिक पहलू की जांच करने की इजाजत देदी थी। लेकिन साथ ही न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि उसके विवाह के संबंध में कोई जांच नहीं होगी।
हिंदू महिला हदिया ने अपना धर्म परिवर्तन कर इस्लाम कबूल कर लिया था और उसने शफीन जहां से शादी कर ली थी। इस मामले में प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा था। हम विवाह में दखल नहीं दे सकते, चाहे उसने जिस भी व्यक्ति से शादी की है। वह बुरा व्यक्ति हो या अच्छा, हदिया 24 वर्ष की है और उसने स्वतंत्र रूप से निर्णय लिया और विवाह किया है।