हेल्थ डेस्क। बहुत से लोगों का मानना है कि मुंहासे सिर्फ एक सौंदर्य से जुड़ी हुई या कॉस्मेटिक समस्या है। ये परेशानी आपके चेहरे को ख़राब कर देती है। वहीं आपके चेहरे पर कुछ धब्बे छोड़ जाते हैं और आपके किशोरावस्था कुछ साल ये परेशानी लगातार बनी रहती है। लेकिन मुंहासे या पिम्पल के निशान और बदसूरत दाग केवल त्वचा पर ही नहीं होते। ये आपके दिमाग पर भी असर करते हैं। आइये जानते हैं इसके बारे में…
बहुत अधिक तनाव: यदि आप मुंहासे से पीड़ित हैं, तो संभावना है कि आपको बहुत अधिक तनाव से गुजरना पड़े। इसमें हैरानी की कोई बात नहीं कि तनाव ऐसी महिलाओं के लिए जीवन का हिस्सा बन जाता है जो मुंहासे के साथ बड़ी होती हैं।
डिप्रेशन और चिंता
2004 में किए गए एक नॉर्वेजियन सर्वेक्षण में यह बताया गया कि चिंता और अवसाद या डिप्रेशन मुंहासों का आपस में सम्बंध है। दरअसल, व्यक्ति के मूड और मुंहासों के बीच एक हल्का सा ही अंतर देखा गया, जिसका मतलब है कि मुंहासे की गंभीरता सीधे-सीधे व्यक्ति के मूड पर आधारित होती है।
आत्मसम्मान में कमी
कम आत्मसम्मान मुंहासे के दूरगामी मनोवैज्ञानिक दुष्प्रभावों में से एक है। पीड़ित अक्षमता और अस्वीकृति की भावनाएं अनुभव करते हैं। ऐसा भी देखा गया है कि मुंहासे से परेशान बहुत से लोग केवल इस डर की वजह से खेल-कूद जैसी गतिविधियों में हिस्सा नहीं लेते, क्योंकि उन्हें लगता है कि दूसरे उन्हें लापरवाह और गंदा मान बैठेंगे जिसका सबूत उनके मुंहासों को बताया जाएगा।
शर्मिंदा
कम आत्मसम्मान और खुद के कम होने की राय के कारण मुंहासों से ग्रस्त मरीजों को अधिक खुद के बारे में अधिक चिंता और शर्मिंदगी से ग्रस्त होना पड़ता है। वे लगातार चिंता करते हैं कि लोग उनके बारे में क्या सोचते हैं या उन्हें कैसे देखते हैं। दुर्भाग्य से, ये भावनाएं उन्हें जीवन में कई अवसरों पर आगे बढ़ने से रोकती हैं।