नई दिल्ली. उत्तर पूर्वी दिल्ली में 4 दिनों तक चली हिंसा का असर पड़ना शुरू हो गया है। हिंसा के चलते शादियों का रंग भी फिका पड़ गया है। लड़की वालों को जहां शादी की तैयारियों को लेकर दिक्कत हो रही है। वहीं लड़के वालों की तरफ से भी बाराती भी आने को तैयार नहीं है। उधर, हजारों लोगों ने अपना घर छोड़ना शुरू कर दिया है।चांदबाग, मूंगा नगर, करावल नगर, घोंडा और गोकलुपर से बड़ी संख्या में लोग अपना घर छोड़कर रिश्तेदारों के यहां पनाह ले रहे हैं। दूसरे राज्यों से रोजगार की तलाश में आए परिवार जो यहां किराये पर रह रहे थे, उन्होंने ने भी कमरे खाली करने शुरू कर दिए हैं। मौजपुर में रहने वाले दीपक की बहन का बुधवार को शादी थी। शादी का आयोजन कृष्णा मंदिर धर्मशाला में आयोजित की गई थी। बारात नागलोई से आने वाली थी।
दीपक का कहना है कि पहले दूल्हे वालों ने पहले 500 बाराती लाने के लिए कहां था, लेकिन हिंसा के चलते बाराती मौजपुर आने को तैयार नहीं थे। ऐसे में लड़के वालों की ओर से उन्हें फोन कर सूचना दी गई कि अब 50 से भी कम बाराती ही आ सकेंगे। मंगलवार को भी कृष्णा मंदिर धर्मशाला में एक लड़की की शादी का आयोजन किया गया था। वहां मौजूद लोगों ने बताया कि हिंसा के चलते मंगलवार को बारात में कुल 12 बाराती ही पहुंच सके थे। उन्होंने बताया कि दिल्ली में हिंसा के मौहाल को देखते हुए बारातियों ने आने से मना कर दिया। ऐसे में सिर्फ दूल्हा और उसके घर वाले ही पहुंचे थे। यह हाल केवल एक शादी समारोह का नहीं है, बल्कि हर समारोह में यही स्थिति है। मौजपुर के रहने वाले जितेंद्र के यहां सगाई का कार्यक्रम था। सगाई में करीब 150 लोग पहुंचने वाले थे, लेकिन हिंसा के चलते 60 की संख्या में ही लोग पहुंचे। इससे भारी मात्रा में बना हुआ खाना नुकसान हुआ। साथ ही इलाके के कम ही लोग सगाई में पहुंचे।