नई दिल्ली. नागरिकता संसोधन कानून (CAA) के खिलाफ होने वाली हिंसा में PFI का नाम सामने आने के बाद केंद्र की मोदी सरकार सख्त हो गई है।
केंद्र सरकार नागरिकता संसोधन कानून (CAA) के खिलाफ हिंसा में कई जगहों पर PFI का नाम आने के बाद संगठन को प्रतिबंधित करने की तैयारी कर रही है। साथ ही सरकार इसके बैनर तले काम कर रहे प्रमुख लोगों के खिलाफ UAPA ऐक्ट के तहत कार्रवाई कर सकती है।
अधिकारी ने कहा कि संगठन को प्रतिबंधित करने पर नाम बदलकर गतिविधियां शुरू हो जाती हैं। लिहाजा हम संगठन के मुखिया सहित ऐसे लोगों पर कार्रवाई कर सकते हैं, जो देश में हिंसा फैलाने के लिए जिम्मेदार हैं। अधिकारी ने कहा कि दिल्ली हिंसा में भी PFI की भूमिका की जांच एजेंसियां करेंगी। फिलहाल यूपी के कई हिस्सों में इस संगठन से जुड़े लोगों की भूमिका पर सरकार के पास रिपोर्ट है। अन्य तथ्य एकत्र किए जा रहे हैं। सरकार कानूनी पहलुओं को भी खंगाल रही है। जिससे कार्रवाई पर सवाल न उठाया जा सके। UAPA के तहत लोगों पर कार्रवाई का अधिकार एजेंसियों को दिया गया है।
पहले संगठन को ही प्रतिबंधित किया जाता था, लेकिन कानून में संशोधन के बाद यह रास्ता साफ हो गया है कि अगर कोई व्यक्ति देश को नुकसान पहुंचाने के लिए उग्रवादी या आतंकी गतिविधियों में शामिल है तो उसे आतंकी घोषित करके उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए। ऐसे व्यक्तियों की संपत्ति जब्त करने का अधिकार भी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के पास है।
अभी तक UAPA संशोधन का केवल विदेशी आतंकियों के खिलाफ उपयोग किया गया है। मसूद अजहर, हाफिज सईद और दाऊद इब्राहिम को संशोधित कानून के तहत आतंकी घोषित किया था। सूत्रों ने कहा कि मामला पेचीदा है, इसलिए कार्रवाई में देरी हो रही है। एजेंसियों को कहा गया है कि वे व्यक्तिगत गतिवधियों पर पूरी रिपोर्ट तैयार करें। एजेंसियां दिल्ली में PFI मुख्यालय की गतिविधियों और उसके प्रदेश अध्यक्ष परवेज मुहम्मद की गतिविधियों को भी खंगाल रही हैं।