नई दिल्ली. दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान अवैध हथियारों का जमकर इस्तेमाल किया गया। यमुनापार इलाके में सड़कें और गलियां 3 दिन गोलियां की आवाज से गूंजती रहीं। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, अभी तक मरने वालों में 20 की मौत गोली लगने से हुई है। पुलिसकर्मी के ऊपर भी तमंचा ताना गया। उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा में अवैध हथियारों की भूमिका ने पुलिस और खुफिया विभाग को चिंता में डाल दिया है। पहली बार सड़कों पर जमकर अवैध असलहे चले। देश की राजधानी में इस तरह अवैध हथियारों का इस्तेमाल पुलिस के लिए नई चुनौती है।
अब पुलिस अधिकारी हिंसा थमने का दावा कर रहे हैं, लेकिन लोगों में अवैध हथियारों की पहुंच ने सभी को हैरत में डाल दिया है। अस्पतालों में बड़ी संख्या में पहुंचे लोगों में से अधिकांश गोली लगने से ही घायल हुए हैं। गुरुवार दोपहर तक हिंसा में मरने वाले 33 लोगों में से 20 को गोली लगी थी।
60 घायलों को लगी गोली
राजधानी में दंगे में 202 घायल हुए हैं। इनमें से 60 को गोली लगी है। घायलों में सबसे ज्यादा संख्या गोली लगने वालों की है। इसके बाद मारपीट, जलाना, पत्थर लगने की घटनाएं हैं। दिल्ली में लगातार अवैध हथियारों की संख्या बढ़ रही है। अवैध हथियार बरामदगी के मामलों में वर्ष 2016 से 2017 के बीच 53 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। इसी तरह 2017 से 2018 के बीच यह वृद्धि 37 फीसदी से ज्यादा थी।
दिल्ली पुलिस के लिए भी चिंता का विषय
दिल्ली के आसपास के इलाकों से अवैध हथियारों की आपूर्ति राजधानी में की जाती है। यमुनापार इलाके में बड़ी संख्या में अवैध हथियार हैं। मेरठ और आसपास के इलाकों से कई बार अवैध हथियारों की आपूर्ति करने वाले गैंग का पुलिस ने खुलासा किया है, लेकिन लगातार बढ़ रहे अवैध हथियार पुलिस अफसरों के लिए भी चिंता का विषय है।