मैनिफेस्टो जारी कर चौतरफा घिरी कांग्रेस; जानिये घोषणा -पत्र को मुस्लिम लीग से क्यों जोड़ा जा रहा हैं?

congress manifesto muslim league
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नृपेंद्र कुमार मौर्य। navpravah.com

नई दिल्ली। लोकसभा के चुनावी रण में जैसे-जैसे वोटिंग की तारीख करीब आ रहा सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच जुबानी जंग तेज होती जा रही है। हाल ही में कांग्रेस ने इस चुनाव को लेकर पार्टी का घोषणा-पत्र जारी किया। कांग्रेस ने इसका नाम न्याय पत्र दिया है, जिसमें 5 ‘न्याय’ और 25 ‘गारंटी’ का जिक्र किया गया है। हालांकि, कांग्रेस का न्याय पत्र सामने आते ही बीजेपी ने इस पर सवाल खड़े कर दिए। केंद्र की सत्ताधारी पार्टी ने कहा कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में ‘मुस्लिम लीग की छाप’ नजर आ रही। पीएम मोदी ने पहले बिहार के नवादा, फिर यूपी के सहारनपुर और इसके बाद पुष्कर रैली में भी इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में वही सोच झलकती है, जो आजादी के समय मुस्लिम लीग में थी। जैसे ही ये मुद्दा उठा तो कांग्रेस ने इसे लेकर चुनाव आयोग से शिकायत कर दी।

कांग्रेस की दिक्कत ये है कि वह एक अकेली ऐसी राजनीतिक पार्टी है, जिसमें वामपंथी और दक्षिणपंथी विचारों दोनों का दखल रहता है। ब्रिटेन और अमेरिका की तर्ज पर बने जिन-जिन अन्य देशों में लोकतंत्र है, वहां लिबरल और कंजरवेटिव विचारों के लोग अपने-अपने पालों में रहते हैं। वे अपने निजी फायदों के लिए पार्टी नहीं बदलते। परंतु भारत में मध्यम मार्ग पर जोर रहा है, इसलिए शुरू से दोनों तरह की विचारों वाले नेता इस संगठन में रहे हैं। आजादी के पहले कांग्रेस एक राजनैतिक दल कम अंग्रेजों से आजादी चाहने वाला नरम दलीय संगठन रहा है। कांग्रेस धरने-प्रदर्शन से आजादी चाहती थी। इसलिए कांग्रेस ने सशस्त्र क्रांति की बजाय सदैव शांति का रास्ता चुना। शायद इसके पीछे 1857 की वह क्रांति रही होगी, जिसे अंग्रेजों ने बर्बरतापूर्वक दबा दिया था।

पहले समझते हैं बीजेपी को क्यों नजर आ रही है ‘मुस्लिम लीग की छाप’

कांग्रेस के मेनिफेस्टो जारी करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सहारनपुर में एक चुनावी जनसभा को संबोधित कर पार्टी पर जमकर निशाना साधा। पीएम ने इस दौरान कहा, ‘कांग्रेस, जिसने आजादी की लड़ाई लड़ी थी वो तो दशकों पहले ही खत्म हो चुकी है। अभी जो कांग्रेस बची है, उसके पास न तो एक भी ऐसी नीति है जो देश हित में हैं और न ही राष्ट्र निर्माण का विजन।’पीएम मोदी इसी संबोधन में आगे कहते हैं, ‘कल कांग्रेस ने जिस तरह का घोषणा पत्र जारी किया है, उससे ये साबित हो चुका है कि वर्तमान की जो कांग्रेस है वो आज आज के भारत के आशाओं-आकांक्षाओं से पूरी तरह कट चुकी है।’

पीएम ने कहा कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में वही सोच झलकती है, जो आजादी के आंदोलन के समय मुस्लिम लीग में थी. इस पार्टी के न्यायपत्र में पूरी तरह मुस्लिम लीग की छाप है और इसका जो कुछ हिस्सा बचा रह गया, उसमें वामपंथी पूरी तरह हावी हो चुके हैं। कांग्रेस इसमें दूर-दूर तक दिखाई नहीं देती है।

घोषणा पत्र पर भाजपा के आरोप पड़े भारी

भाजपा को इसी पर हमला करने से फायदा होता दिख रहा है। इस घोषणापत्र को मुस्लिम लीग के घोषणापत्र से जोड़ कर भाजपा ने अपनी बहुत सारी नाकामियों को छुपा भी लिया है। कांग्रेस ने अग्निपथ योजना को समाप्त कर पुरानी सेना भर्ती प्रणाली बहाल करने की घोषणा की है। निश्चित तौर पर कांग्रेस का यह वायदा भाजपा को भारी पड़ता। मगर अब कांग्रेस अपने मुस्लिम परस्त न होने की सफाई दे रही है। इसी तरह वन रैंक वन पेंशन के मामले में उसने यूपीए सरकार के आदेश पर अमल की घोषणा की है। इसकी भी देश के पूर्व सैनिकों पर सकारात्मक असर पड़ता। कांग्रेस ने दिल्ली सरकार के कामकाज पर कांग्रेस ने दिल्ली सरकार अधिनियम 1991 में संशोधन की भी बात की है।

यूं कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र के किसी भी बिंदु से किसी की अवमानना अथवा किसी भी समुदाय का मनोबल अनधिकृत रूप से बढ़ाने की बात नहीं किया है। पर उसके समक्ष जो राजनीतिक पार्टी है, उसके चातुर्य और उसकी रणनीति में कांग्रेस उलझ गई है। चुनाव आयोग से शिकायत उसने भले की हो और आयोग का फैसला कुछ भी आए किंतु कांग्रेस उलझ तो गई ही है। किसी भी स्पष्ट लाइन के न होने का अनावश्यक रूप से नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है। भाजपा तो चाहती ही है कि चुनाव में उसे बहुसंख्यकों के अंदर भय पैदा करने का अवसर मिल जाए। और सत्य यह है कि फिलहाल इस मुद्दे को लेकर भाजपा और हमलावर होगी। वह कांग्रेस को मुस्लिम लीग की तर्ज पर चलने का आरोप और तेजी से लगाएगी।

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