लखनऊ। Citizenship Amendment Act के विरोध में आंदोलन कर रहे छात्रों पर पुलिस की कार्रवाई के विरोध में बसपा मुखिया मायावती खुलकर समर्थन में आ गई हैं। मंगलवार को बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि भाजपा की केंद्र सरकार के इस असंवैधानिक कानून से भविष्य में नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं। मायावती ने कहा कि नए कानून में मुस्लिम समाज की उपेक्षा की गई है। सरकार के फैसले से बसपा सहमत नहीं है। मायावती ने सरकार पर भेदभाव वाली राजनीति करने का आरोप भी लगाया।
बसपा मुखिया मायावती ने कहा है कि ‘मैं केंद्र सरकार से इस असंवैधानिक कानून को वापस लेने की मांग करती हूं, अन्यथा भविष्य में इसके नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं। केंद्र सरकार को आपातकाल जैसे हालात पैदा नहीं करने चाहिए, जैसे कांग्रेस ने पहले किए थे। मायावती ने कहा कि इस कानून को विभाजनकारी और असंवैधानिक मानकर हमारी पार्टी ने इसके खिलाफ वोट दिया था।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार पाकिस्तान में हिंदुओं पर किये गए जुल्म का बदला आजाद भारत के मुस्लिमों से लेने के लिए यह कानून लेकर आई है, जो कतई न्याय संगत नहीं है। मायावती ने कहा कि बसपा के संसदीय दल ने भी राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा है। हमारी पार्टी यूपी विधानसभा में भी नागरिकता संशोधन कानून और महिलाओं के खिलाफ अपराधों के खिलाफ आवाज उठाएगी।
इससे पहले सोमवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट में लिखा है कि ‘नागरिकता संशोधन कानून के विरुद्ध देश भर में जारी आंदोलन व खासकर अलीगढ़ व जामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों पर हुई पुलिस बर्बरता के संबंध में विरोध प्रकट करने व इसकी न्यायिक जांच कराने की मांग को लेकर बीएसपी संसदीय दल कल अलग से राष्ट्रपति से मिलेगा, जिसके लिए समय की मांग की गई है।’