नई दिल्ली. महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार चला रही शिवसेना ने नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन किया है। वहीं कांग्रेस के साथ पूरे विपक्ष ने इस बिल पर कड़ा विरोध जताया।
शिवसेना ने नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) को पेश करने समर्थन में वोट किया है। लोकसभा में बिल को पेश करने के पक्ष में 293 और ना पेश करने के पक्ष में 82 वोट ही पड़े। जबकि कांग्रेस ने पहले ही इस विधेयक को ‘असंवैधानिक’ करार दिया है।
इसस पहले शिवसेना सांसद संजय राउत ने सोमवार को ट्विटर पर इसकी घोषणा की थी। उन्होंने कहा, “गैर-कानूनी रूप से रह रहे घुसपैठियों को बाहर निकाला जाना चाहिए।” राउत ने आगे कहा, “अप्रवासी हिंदुओं को नागरिकता दी जानी चाहिए, लेकिन अमित शाह, वोट बैंक बनाने के आरोपों को विराम दें और उन्हें वोट देने का अधिकार नहीं दें। इस पर आप क्या कहते हैं? और हां (कश्मीरी) पंडितों के बारे में आपका क्या कहना है? क्या अनुच्छेद 370 रद्द किए जाने के बाद वे वापस कश्मीर जाकर रह पाएंगे?
होम मिनिस्टर अमित शाह के लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) पेश करते ही विपक्षी दलों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। विधेयक पेश करते हुए अमित शाह ने कहा कि यह बिल अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा कि वह हर सवाल का जवाब देने को तैयार हूं और विपक्ष को कहा कि वॉक आउट मत कर जाना। वहीं शिवसेना संसद में सोमवार को इस विधेयक का समर्थन कर सकती है। शाह ने बताया कि इस बिल की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने धर्म के आधार पर विभाजन किया।
अमित शाह ने कहा, यह बिल संविधान के किसी अनुच्छेद के खिलाफ नहीं है और ना ही अनुच्छेद 14 के खिलाफ है। ऐसा पहली बार नहीं है कोई सरकार नागरिकता पर कोई बिल लेकर आए है। 1971 में इंदिरा सरकार ने फैसला लिया था कि बंग्लादेश से आए सभी लोगों को नागरिकता दी जाए। तो पाकिस्तान के लोगों को नागरिकता क्यों नहीं दी गई। फिर वो सरकार बिल लेकर युगांडा वालों को नागरिकता दी गई इंग्लैंड वालों को नहीं।
नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019, के तहत उन हिंदुओं, ईसाइयों, सिखों, पारसियों, जैनों, और बौद्धों को भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान की जाएगी, जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़न से भाग कर यहां आए हैं। हालांकि कांग्रेस के साथ विपक्ष ने पहले ही इस पर आपत्ति जता दी है।