एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
सुप्रीम कोर्ट में आज अयोध्या मामले में सुनवाई के दौरान बाबरी मस्जिद के पक्षकारों की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने 1994 के इस्माइल फारुखी फैसले पर दोबारा विचार की मांग की।
राजीव धवन ने कहा, कि इस्लाम के तहत मस्ज़िद का बहुत महत्व है। यदि एक बार मस्ज़िद बन जाए तो वो अल्लाह की संपत्ति मानी जाती है। उसे तोड़ा नहीं जा सकता है।
बाबरी पक्षकारों के वकील ने कहा कि खुद पैग़ंबर मोहम्मद ने मदीना से 30 किमी दूर मस्ज़िद बनाई थी। इस्लाम में इसके अनुयायियों के लिए मस्ज़िद जाना अनिवार्य माना गया है।
राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ये कह देना कि इस जगह कोई मस्ज़िद नहीं थी। उससे कुछ नहीं होता, यह किसने आदेश दिया कि वहां नमाज नहीं पढ़ी जाएगी।
16 मार्च को शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने विवाद स्थलों को लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को विवादित स्थलों पर नमाज बंद करवाने का सुझाव दिया था।
साथ ही उन्होंने कहा कि अयोध्या का विवादित स्थल हिंदुओं को सौंप देना चाहिए। क्योंकि वहां मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाया गया है। रिजवी इससे पहले भी कई बार अयोध्या में राम मंदिर बनाए जाने की वकालत कर चुके हैं।
ससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 14 मार्च को हुई सुनवाई में मुख्य पक्षकारों के अलावा बाकी तीसरे पक्षों की ओर से दायर हस्तक्षेप अर्जियों को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि इस मामले में वो आगे से किसी तीसरे पक्ष की हस्तक्षेप अर्जी को स्वीकार ना करे।