न्यूज़ डेस्क | नवप्रवाह न्यूज़ नेटवर्क
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में करीब 150 वर्ष पुराने ऐतिहासिक मोती महल इमारत का एक हिस्सा गिरने से करीबन 2 दर्जन से ज्यादा वाहन मलबे के नीचे दब गए हैं। जैसे ही दीवार गिरी आसपास के इलाकों में हड़कंप मच गया। हालांकि किसी भी तरह के इंसान के हताहत होने की खबर नहीं है।
दरअसल सोमवार की सुबह भोपाल के फतेहपुर इलाके में भारी बारिश की वजह से डेढ़ सौ साल पुरानी मोती महल इमारत का एक हिस्सा भरभरा कर गिर पड़ा। जिसके अंदर करीबन 2 दर्जन से अधिक गाड़ियां दब गई है। जिसके बाद राहत एवं बचाव कार्य मौके पर पहुंच मलबे को हटाने का काम कर रही है। खबरों के मुताबिक अभी तक किसी की जान के हताहत होने की खबर नहीं है। हालांकि मोती महल की पहली मंजिल पर अवैध रूप से मजदूर रहने लगे थे किंतु लॉकडाउन में वह सब अपने घर वापस चले गए हैं।
दूसरी तरफ आसपास के लोगों का कहना है कि इमारत का गिरना प्रशासन की गलती है। प्रशासन द्वारा कोई देखरेख नहीं की जा रही थी। लोगों ने यह भी बताया कि इससे पहले भी इसका एक हिस्सा गिर चुका है। बावजूद इसके प्रशासन लगातार इस मामले की अनदेखी कर रहा था लकड़ियों के सहारे खड़ी इन दीवारों में अब जान नहीं रह गई है। दीवार के गिरने से किसी की मोटरसाइकिल तो किसी की नई कार दबकर मलबे के नीचे चली गई है। जिसके बाद एसडीआरएफ की एक टीम घटनास्थल में मौजूद है और वाहनों को मलबे से निकालने का काम जारी है।
मोती महल का निर्माण भोपाल की तत्कालीन नवाब कुदसिया बेगम ने 1819-1837 में करवाया था। मोती महल से शौकत महल में जाने के लिए इसी दरवाजे के ऊपर से आने जाने के लिए जोड़ा गया है। महल के पास ही सदर मंजिल भी है। जो कुदसिया बेगम का पहला दरबार था।