डॉ० कुमार विमलेन्दु सिंह | Navpravah Desk
1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री, स्व० श्रीमती इंदिरा गांधी के स्वतंत्रता दिवस के भाषण के प्रसारण से टेलीविज़न पर रंगीन (कलर) प्रस्तुति का दौर शुरू हो चुका था। उसी साल एशियन गेम्स का आयोजन भी दिल्ली में ही किया गया था और दूरदर्शन ने इसे प्रसारित भी किया। टेलीविज़न के प्रति उत्साह जाग रहा था लोगों में और अगले ही साल, यानि 1983 में, कपिल देव के नेतृत्व में भारत ने क्रिकेट का विश्व कप जीत लिया। यह एक आशातीत सफलता थी और हर वर्ग के लोगों में, विशेषकर युवाओं में, कई वर्षों बाद, अपने देश के प्रति, गर्व की भावना जगी। अब हर घर में क्रिकेट के प्रति उत्साह था और क्रिकेट देखने की चाहत। विश्व कप विजय ने बहुत से घरों में टेलीविज़न पहुंचा दिया था और दूरदर्शन भी हर रोज़ नए आयाम जोड़ रहा था अपने साथ।
1982 में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तत्कालीन मंत्री, स्व० वसंत साठे मेक्सिको दौरे पर गए थे और वहाँ उन्होंने उस समय मेक्सिको के टेलीविज़न पर दिखाए जाने वाले धारावाहिक, ” वेन कॉमिंगो” के बारे में जाना और जब वे भारत लौटे, तो दो साल अथक परिश्रम करना पड़ा, कलाकारों को, और दर्शकों को 1984 में एक उपहार मिला, जिसका नाम था, “हम लोग”।
“हम लोग”, 7 जुलाई, 1984 को पहली बार दूरदर्शन पर दिखाई गई और यह भारत का पहला प्रायोजित धारावाहिक था जिसे सोप ओपेरा कह सकते थे।
सोप ओपेरा का चलन पहले रेडियो से शुरू हुआ था और पूरी दुनिया में सबसे पहले ये अमरीका के शिकागो में प्रसारित किया गया था। शिकागो के WGN रेडियो स्टेशन से 1930 में, “पेंटेड ड्रीम्स” नाम का धारावाहिक प्रसारित किया गया था, जिसे दुनिया का पहला सोप ओपेरा कहा जा सकता है। सोप ओपेरा इसलिए कहा जाता था, इन धारावाहिकों को क्योंकि इनकी प्रायोजक, साबुन की बड़ी कंपनियां हुआ करती थीं।
भारत आते-आते इस विधा को समय तो लगा, लेकिन टेलीविज़न पर प्रसारित करने के लिए जब “हम लोग” बनाने की बात आई, तो इसके दो लक्ष्य थे, पहला, लोगों को छोटे परिवार रखने के लिए प्रेरित करना और दूसरा मनोरंजन। धारावाहिक को शिक्षा और मनोरंजन दोनों देना था। धीरे-धीरे, ये इतना लोकप्रिय हो गया कि इसे घर-घर में सराहा गया।
“हम लोग”, मनोहर श्याम जोशी जी ने लिखी थी और इसका निर्देशन, पी० कुमार वासुदेव ने किया था। धारावाहिक का शीर्षक गीत, अनिल बिस्वास ने दिया था।
इस धारावाहिक के सभी पात्र, इतने असरदार थे कि आज तक दर्शकों की स्मृतियों में जीवित हैं। बसेसर, लल्लू, नन्हे, बड़की, मंझली, छुटकी, सब अपने ही घर के लोग लगते थे। 154 एपिसोड के प्रसारण के बाद, 17 दिसम्बर, 1985 को इस धारावाहिक का अंतिम भाग दिखाया गया। इस धारावाहिक में विनोद नागपाल, राजेश पुरी, मनोज पाहवा, सीमा पाहवा, जयश्री अरोड़ा, अभिनव चतुर्वेदी, सुषमा सेठ, आसिफ़ शेख़ समेत कई दिग्गज अभिनेताओं और अभिनेत्रियों ने काम किया।
“हर एपिसोड के अंत में महान अभिनेता, अशोक कुमार भी आते थे और सीधे दर्शकों से बातें करते थे। यह धारावाहिक 25 मिनट तक चलता था। अंतिम भाग ज़्यादा देर तक चला था। इस धारावाहिक की लोकप्रियता इतनी ज़्यादा थी कि, अशोक कुमार को चार लाख युवाओं ने इस निवेदन के साथ पत्र लिखा था कि वे उनके माता-पिता को समझाएं उन्हें अपने मन से विवाह करने देने के लिए। “
इस धारावाहिक की शूटिंग, गुरुग्राम (गुड़गांव) में हुआ करती थी और सभी कलाकार, मंडी हाऊस, दिल्ली से रोज़ गुड़गांव, एक वैन में बैठ कर जाते थे। “हम लोग” ने लोगों को टेलीविज़न के सामने बैठे हुए ख़यालों में तैरना सिखा दिया था। दर्शकों की मांग पर, इसे 1993 में, पुनः दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया। दुर्भाग्य की बात है कि जिस धारावाहिक को देश के पहले सोप ओपेरा होने का गौरव प्राप्त है, उसकी रिकार्डिंग के रख- रखाव के बारे में, दूरदर्शन के लोगों और कर्मचारियों तक को नहीं पता। यूट्यूब पर भी बस इस धारावाहिक का पहला एपिसोड ही है।
धारावाहिक का पहला एपिसोड:
“हम लोग”, दूरदर्शन के आर्काइव्स से ग़ायब हो सकता है लेकिन, लोगों के मन में ये हमेशा रहेगा। “हम लोग” ने पूरे परिवार को एक साथ बैठ कर कहानियों में डूबना उतरना सिखा दिया था और आने वाले समय में दूरदर्शन, बच्चों और बड़ों को एक साथ समय बिताने के बेहतरीन मौक़े देने के लिए तैयार हो चुका था।
(लेखक जाने-माने साहित्यकार, फ़िल्म समालोचक, स्तंभकार, व शिक्षाविद हैं.)