शिखा पांडेय,
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा भारतीय स्टेट बैंक के साथ उसके पांच सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक को मिलाने की सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दे दी गई है। वे पांच सहयोगी बैंक स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर और स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर हैं तथा भारतीय महिला बैंक वह बैंक है, जिसे पिछली सरकार ने खास तौर से महिलाओं की बैंकिंग जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रारंभ किया था।
इस विलय का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि भारतीय स्टेट बैंक और भी बड़ा बैंक बन जाएगा। मंत्रिमंडल के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय स्टेट बैंक की चेयरपर्सन अरूंधती भट्टाचार्य ने कहा कि अभी कोई भारतीय बैंक दुनियां के चुनिंदा 50 बैंकों में शामिल नहीं है। लेकिन उम्मीद है कि विलय की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद विश्व स्तर पर भारतीय बैंक और मजबूत पहचान के साथ नजर आएंगे। इससे मात्र भारतीय स्टेट बैंक को ही नहीं बल्कि सभी को फायदा होगा। एसबीआई का नेटवर्क बढ़ेगा और कई गुना लोगों तक यह पहुंच सकेगा। साथ ही तर्कसंगत शाखाओं और कुशल कर्मचारियों की बदौलत बैंक के कामकाज में भी सुधार आएगा।
विलय से कर्मचारी यूनियन नाराज़, आंदोलन की धमकी-
हालांकि विलय प्रस्ताव से कर्मचारी यूनियनों में नाराजगी है। इस मामले में वो आंदोलन की भी चेतावनी दे चुके हैं। लेकिन वित्त मंत्रालय के अधिकारियों की मानें तो इससे विलय की प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। साथ ही कर्मचारियों और अधिकारियों को को संतुष्ट करने की हर संभव कोशिश होगी।
उल्लेखनीय है कि 31 मार्च 2016 तक के आंकड़ों के मुताबिक, पांच सहयोगी बैंकों के पास कुल जमा राशि 5 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा है जबकि इन्होंने करीब चार लाख करोड़ रुपए का कर्ज दे रखा है। इन पांच बैंकों का नेट वर्थ करीब 90 लाख करोड़ रुपए है। साथ ही इन पांच बैंकों में अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या करीब 70 हजार है। वहीं 31 मार्च, 2015 तक के आंकड़े बताते हैं कि नवम्बर 2013 में लांच किए गए भारतीय महिला बैंक की कुल जमा राशि 751 करोड़ रुपए थी जबकि इसने करीब 350 करोड़ रुपए का कर्ज दे रखा था। भारतीय स्टेट बैंक का इरादा चालू कारोबारी साल में विलय प्रक्रिया को पूरी करने का है।
आपको बता दें कि करीब साढ़े 16 हजार शाखाओं के साथ भारतीय स्टेट बैंक भले ही देश का सबसे बड़ा बैंक हो, लेकिन विश्व स्तर पर 50 बड़े बैंकों में इसे कोई जगह नहीं मिली है। विश्व स्तर पर इसकी ताजा रैकिंग 67 है। सरकार की कोशिश है कि देश में बैंकों की संख्या कम हो, लेकिन दुनिया के चुनिंदा बैंकों में किसी भारतीय बैंकों को जरूर जगह मिलनी चाहिए। इसी को ध्यान में रखते हुए विलय को प्राथमिकता दी जा रही है।