अमित द्विवेदी,
पंजाब राज्य के प्रभारी पद से वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कमल नाथ ने इस्तीफा दे दिया। जिस गति से पार्टी अध्यक्षा सोनिया गांधी ने इस्तीफा स्वीकार किया, लगा सब योजनाबद्ध तरीके से हुआ।
राज्य सभा चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस आलाकमान ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के प्रभारियों को हटाकर नई नियुक्तियां की थी। कांग्रेस महासचिव कमल नाथ को पंजाब का प्रभारी बनाए जाने के बाद से ही आम आदमी पार्टी और भाजपा सहित अन्य दलों ने कमल नाथ की नियुक्ति पर प्रश्न उठाना शुरू कर दिया था। 1984 के सिख दंगों में कमलनाथ की भूमिका को लेकर तेज़ी से सवाल उठने लगे थे।
इस मामले में नेता कमल नाथ ने सोनिया गांधी को एक पत्र लिखा, जिसमे उन्होंने ज़िक्र किया कि कुछ पार्टियां राजनीतिक लाभ लेने के लिए, उन्हें सिख दंगे से बेवजह जोड़ने की कोशिश कर रही हैं, जोकि बेबुनियाद है। कमलनाथ ने कहा कि दंगा मामले में वर्ष 2005 तक उनके खिलाफ कोई सार्वजनिक बयान या शिकायत या प्राथमिकी तक नहीं थी और पिछली एनडीए सरकार द्वारा गठित नानावटी आयोग ने उन्हें बाद में दोषमुक्त करार दिया था।
इस्तीफा देने के कुछ देर बाद ही पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्षा ने कमल नाथ का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। सुरजेवाला ने कहा, “कमलनाथ ने एआईसीसी में उन्हें दी गई जिम्मेदारियों से अपना इस्तीफा दे दिया। उनके निवेदन पर विचार कर सोनिया गांधी ने उनका इस्तीफा स्वीकार किया।”