सौम्या केसरवानी | Navpravah.com
पंजाब के सीएम कैप्टन अमरेंद्र सिंह पर विश्वास करके बैंकों को कर्ज वापस न करने वाले किसानों को बैंकों ने बेइज्जत करना शुरू कर दिया है, बैंकों ने पहले इन किसानों को नोटिस जारी किए पर कर्ज वापस ना करने पर अब इन किसानों की तस्वीरें लगाकर इनकी बदनामी शुरू कर दी है।
सरकार के ऐलान के बावजूद बैंकों ने किसानों से कर्ज की रकम वसूलनी बंद नहीं की है और वो डिफाल्टर बन गए हैं।
समराला में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने बोर्ड में इनकी तस्वीरें चिपका दी हैं और नीचे लिख दिया है,‘ये लोग हमारे बैंक के डिफाल्टर हैं।’ इन तस्वीरों में बुजुर्ग महिलाओं की तस्वीरें भी हैं, इन्हें बैंक में आने वाले लोग बड़ी हैरानी से देख रहे हैं।
बैंकों में इस तरह से अपने फोटो लगने से हो रही बदनामी से किसानों में नाराजगी है और वो बैंकों और पंजाब सरकार को कोस रहे है।
पंजाब में जहां किसान लगातार खुदकुशी करता जा रहा है, वहीं, सरकार की सहानुभूति की जगह अब इन किसानों को बेइज्जती का दंश भी झेलना पड़ रहा है।
किसान सरदार गुरदीप सिंह ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से 1,50,000 रुपये का कर्ज लिया था और इस कर्ज की किस्तें मार्च महीने से पहले 16,000 रुपये और 20,000 रुपये के रूप में बैंक में जमा भी करवा दी थी, लेकिन तभी पंजाब सरकार का फरमान आया कि जिन किसानों ने बैंकों से 2,00,000 रुपये तक का लोन लिया हुआ है, उनके कर्जे माफ कर दिए गए हैं, लिहाजा इन किसानों ने अपना कर्ज देना बंद कर दिया और अब बैंक का यह कहना है कि इस किसान पर अब भी दो लाख से ज्यादा बकाया है, लिहाजा गुरदीप सिंह की फोटो नोटिस बोर्ड पर डिफाल्टरों की लिस्ट में लगा दी गई है।
खबर है कि इन किसानों ने अगर कर्ज वापिस नहीं किया तो इनकी तस्वीरों के बोर्ड शहर के मेन चौक या सार्वजनिक स्थानों पर भी लग सकते हैं।
बैंक की इस कार्रवाई के खिलाफ तमाम किसान संगठन किसानों के पक्ष में आ गए हैं और कह रहे हैं कि अगर सरकार ने अपना वादा नहीं निभाया और बैंकों ने यही रवैया रखा तो किसानों को आंदोलन की राह पर जाना होगा।
मुद्दा किसानों से जुड़ा है और पंजाब सरकार ने तमाम तरह के वादे किसानों से पहले ही कर रखे हैं, लिहाजा पूरे मामले पर राजनीति होना लाजमी है।
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने इस सारे मसले पर पंजाब सरकार पर निशाना साधा है और कहा है कि सरकार ने जो वादा किया था, उसको निभाए, किसानों के कर्ज माफ करें, क्योंकि किसान पहले ही बदहाल है।