अभिजीत मिश्र । Navpravah.com
केंद्र सरकार के द्वारा बताए गए जी डी पी रेट से साफ पता चलता है कि देश की जीडीपी में भारी गिरावट हुई है। देश की जीडीपी गिर कर 6.1 हो गई, जो कि पिछले साल से 0.9 प्रतिशत कम है।
केंद्र सरकार के द्वारा लिए गए नोटबन्दी के फैसले को ही इस गिरावट की असली वज़ह माना जा रहा है। सरकार के द्वारा आये आंकड़ो के मुताबिक वर्ष 2017 के जनवरी से ले कर मार्च तक में ही देश की विकास दर चौपट हो गई थी।
नोटबन्दी के दौरान सरकार ने अपने निर्णय को ले कर कई सारी उम्मीदें लगाई थी और अनुमान लगाया था कि देश की जीडीपी 7 प्रतिशत से ज्यादा हो जाएगी, मगर यहाँ मामला उल्टा पड़ गया और सरकार की सारी उमीदों पर पानी फिर गया।
जीडीपी रेट के आंकड़े आते ही सारी विपक्ष पार्टिया अपनी अपनी राय बताते हुए सरकार की असफलता पर निंदा की है।कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार के निर्णय की विफल होने और जीडीपी रेट गिरने पर ट्वीट करते हुए लिखा है कि, देश में बेरीज़गारी बढ़ रही है और जीडीपी घट रही है, सरकार अपनी असफलता को छुपाने के लिए कई सारे मुद्दों को उठा रही है।
एक तरफ देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने G-20 की बैठक में कहा है कि सत्र 2017-18 तक भारत की जीडीपी बढ़ कर 7.5 प्रतिशत हो जाएगी, और साथ ही साथ सभा को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार का जीएसटी का निर्णय देश मे कई सारे बदलाव लाएगा ओर गांव और छोटे शहरों में बहुत से निवेश कर के बड़ी बड़ी समस्याओ का समाधान किया जाएगा, जिसमे बेरोज़गारी, बिजली और पानी की समस्या पर ज़ोर दिया है।
अभी तक केंद्र सरकार का जीडीपी रेट गिरने पर कोई भी बयान नही आया है, और सरकार की इस चुप्पी से जनता का सरकार से ऊपर से भरोसा उठता नज़र आ रहा है।