शिखा पाण्डेय,
अक्सर सोने के गहने खरीदते वक़्त आम लोगों में इस बात को लेकर आशंका बनी रहती है कि कहीं सोने में मिलावट तो नहीं है, कहीं ज्वेलर्स आपको ठग तो नहीं रहे हैं। तमाम तरह की आशंकाएं मन में लिए हुए गहने खरीदने वालों के लिए एक खुशखबरी है। अब ज्वेलर्स आपको बेचने वाले सोने में हेरफेर नहीं कर सकेंगे। अब इस क्षेत्र में आपका निवेश सुरक्षित और लाभदायी रहेगा।
सरकार ने 1 जनवरी 2017 से सभी तरह के सोने की हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी है। सरकार ने सोने की ज्वेलरी के साथ सोने के सिक्के व बिस्किट के लिए भी हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी है। सरकार ने इसके लिए ‘ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड’ को निर्देश भेज दिया है। साथ ही हॉलमार्किंग की कटेगरी भी सीमित कर दी है। पहले जहां दस कटेगरीज़ में हॉलमार्किंग होती थी, वहीं अब मात्र तीन श्रेणियों में हॉलमार्किंग होगी। ये श्रेणियां 22 कैरेट, 18 कैरेट व 14 कैरेट के लिए होंगी।
आपको बता दें कि सोने के कारोबार में बड़ा हेरफेर होता है, जिसका खामियाजा खुदरा ग्राहकों को भुगतना पड़ता है। हॉलमार्किंग अनिवार्य नहीं होने पर ज्वेलर्स अक्सर कम कैरेट के सोने को ज्यादा कैरेट का बता कर बेचते हैं और बाद में ग्राहकों को उसकी उचित कीमत नहीं मिलती है।
पुराने गहनों की भी करा सकते हैं हॉलमार्किंग-
सोने की हॉलमार्किंग बेहद सस्ती है। मात्र 30 रुपये प्रति ज्वेलरी की दर से हॉलमार्किंग की जाती है। यह दर छोटे व बड़े सभी तरह की ज्वेलरी पर समान ढंग से लागू होती है। देश में भारतीय मानक ब्यूरो के 375 हॉलमार्किंग सेंटर व फ्रेंचाइजी हैं, जहां जाकर आप अपने पुराने ज्वेलरी की भी हॉलमार्किंग मात्र 30 रुपये प्रति ज्वेलरी की दर से करा सकते हैं। इससे आपको अपने पुराने ज्वेलरी की सही शुद्धता का पता चल जायेगा और आप किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी से भी बच जाएंगे।