बजट 2017-18: आम जनमानस को भाया बजट

अनुज हनुमत | Navpravah.com

आज विपक्ष के विरोध के बीच मोदी सरकार ने देश की सवा सौ करोड़ जनता के सामने आम बजट पेश किया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में 2017-18 का पेश किया। बजट में सबसे मुख्य बात यह रही कि इनकम टैक्स घटाकर मध्यम वर्ग को बड़ी राहत दी गई है। अब 2.5 लाख से 5 लाख तक आय वालों का टैक्स 10 फीसदी से घटकर 5 फीसदी हो गया है। वहीं 3 लाख रुपये तक की आय वालों को कोई टैक्स नहीं देना होगा। एक और अहम फैसले में 3 लाख रुपये से ऊपर के कैश ट्रांजेक्शन पर रोक लगाई गई है, अब 3 लाख से ऊपर के ट्रांजेक्शन डिजिटल ही हो सकेंगे।

पिछले वर्ष का बजट किसानों का बजट कहा गया था, लेकिन इस बार के बजट में सभी को ध्यान में रखा गया। कुछ ही दिन में पांच राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, जिसे देखते हुए ये बजट अहम माना जा रहा है। लेकिन ये तो आने वाला समय ही बताएगा कि इससे मोदी सरकार को कितना फायदा मिलेगा। आज पेश हुए आम बजट पर हमने आम लोगों से भी बात की। आइए जानते हैं आमजनमानस का क्या कहना है इस बजट के बारे में-

प्रतियोगी छात्र अनूप कुमार के मुताबिक, “राजनीतिक चंदे के रुप में नगद में केवल दो ही हजार ले सकते हैं। यह कदम मील का पत्थर होगा, क्योंकि २००० से ऊपर का चंदा सरकार की नजर में रहेगा। अभी तक ६०℅ से ऊपर चंदे का स्रोत राजनीतिक पार्टिया नहीं बताती हैं। कहते हैं सबसे बड़ा काला धन चुनाव में लगता है। अगर यह वादा सरकार २००० नगद चंदे वाला सही से लागू हुआ, तो हमें अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे।”

पेशे से शिक्षक ज्ञानेंद्र विक्रम सिंह का कहना है, “2017 का बजट एक ठंढा बजट है। यद्यपि इसमें कुछ अच्छे प्रावधान भी हैं। इसे वर्तमान को कष्ट देकर सुनहरे भविष्य का सपना दिखाने वाला बजट भी कह सकते हैं। यह बजट उत्साह नहीं जगाता। महिला, किसान, युवा और अल्पसंख्यकों के लिये कुछ भी खास नहीं है। साहित्य, संस्कृति व कला जगत के लिये निराशाजनक इस बजट में कुछ अच्छी घोषणाओं का झुनझुना भी है।”

मनीष मिश्र का मानना है कि बजट सभी के लिए फायदेमंद होने के साथ साथ मध्यमवर्गीय लोगों के लिए अति सराहनीय है।

बजट को लेकर छात्रा नलिनी मिश्रा कहती हैं, “मध्यम वर्ग के लिए राहत टैक्स १०% से ५%। २००० ₹ से ज्यादा चंदा लेने पर पार्टियों की जबाव देही होगी। लेन देन का हिसाब होगा, जिससे पारदर्शिता होगी। युवाओं के लिए रोजगार के अच्छे अवसर बनेगें, किसानों के लिए भी राहत का बजट हैं । नोटबंदी का सकारात्मक असर देखने को मिला हैं। मध्यमवर्गीय परिवार को राहत मिली है। रेल बजट अॉनलाइन टिकट बुकिंग पर सर्विस टैक्स नहीं होना हम युवाओं के लिए बहुत अच्छा रहा।”

एसके सिंह कहते हैं, “बजट में किसानों की आय को डबल करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। इससे निराश हूँ।”

जलसेना के पूर्व अधिकारी चंद्रशेखर कहते हैं, “एक अच्छा बजट है। इसमें दिशा निर्देश है और यदि इसका कार्यन्यवन सही ढंग से हुआ तो भविष्य के लिए अच्छा साबित होगा। जो अन्य आँकड़े दिए हैं बहुत विश्वसनीय नहीं हैं। बहुत से अर्थशास्त्री इससे सहमत नहीं हैं। पर यह हर सरकार करती रही है। उन्हें तो अपने प्लान को सही साबित करना है। इन आँकड़ों को इन्फ़्लेशन को नज़र में रख कर देखें तभी वस्तुस्थिति का ज्ञान होगा। वेतन भोगी समूह उच्च आय में सबसे अधिक हैं। उनकी कुल संख्या ७६ लाख है जिनमें ५६ लाख वेतन भोगी हैं। बस मात्र २० लाख व्यापारी और अन्य हैं। इन्हें कोई लाभ नहीं दिया गया है। सातवें वेतन आयोग के मध्येनज़र उम्मीद थी की आयकर में कुछ राहत तो मिलेगी और टैक्स भी rationalise होगा। सरकार भी इसका संकेत करती रही है। यह सब ईमानदार लोग हैं क्या आप को विश्वास है की मात्र २० लाख व्यापारी और अन्य हैं जिनकी आय उच्च वर्ग की कही जा सकती है। हमारे गाँव के चौराहे पर तो कई हैं जो साल में ५० लाख से ऊपर कमाते हैं सब ख़र्चा ब्रंच निकालने के बाद। सरकार से कहीं न कही चूक हुई है। एक साधारण दिल्ली का बाबू अपनी पेन्शन पर १।५ से २ लाख तक अब टैक्स देता है। बाक़ी सब ठीक है।”

छात्र अब्दुल्लाह सादिक कहते हैं, “बजट सिर्फ चुनाव को ध्यान में रखकर बनाया गया है।”

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