ब्यूरो
पठानकोट हमलों की जांच के लिए पाकिस्तान जाने का इंतजार कर रहे भारतीय जांचकर्ताओं के हाथ एक सनसनीखेज़ जानकारी लगी है। जांचकर्ताओं को मिली जानकारी के अनुसार जिन चार आतंकियों ने पठानकोट एयरबेस पर हमला किया था, उन्हें शाहिद लतीफ से कथित तौर पर विभिन्न स्तरों पर मदद मिली थी। शाहिद लतीफ वही शख़्स है जिसे साल 2010 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली तत्कालीन यूपीए सरकार ने जेल से रिहा किया था।
गौरतलब है कि पठानकोट में 72 घंटे तक चली भीषण मुठभेड़ में 7 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे। हमले में शामिल चारों आतंकी मार गिराए गए थे। आतंकवादियों के शवों को पिछले दिनों पंजाब में दफनाया गया, क्योंकि पाकिस्तान ने इन आतंकियों के शव लेने से मना कर दिया था।
47 वर्षीय शाहिद लतीफ को जम्मू में आतंकवाद और ड्रग्स तस्करी से संबंधित मामलों में 1996 में गिरफ्तार किया गया था। लतीफ जैश-ए-मोहम्मद का वरिष्ठ नेता है, जिसके प्रमुख मौलाना मसूद अजहर पठानकोट हमलों का मास्टरमाइंड है। पाकिस्तान से संबंध सुधारने के प्रयास के तहत 6 साल पहले लतीफ के साथ करीब 20 अन्य कैदियों को कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने रिहा कर दिया था और ये सभी वाघा बॉर्डर के जरिये पाकिस्तान लौट गए थे। एनआईए के अनुसार जिन पाकिस्तानियों को उस वक्त रिहा किया गया था, वे सभी भारतीय जेलों में अपनी सजा पूरी कर चुके थे और उन्हें इससे अधिक समय के लिए नहीं रखा जा सकता था।
1999 में जब इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी 814 को अफगानिस्तान के कंधार में पांच आतंकवादियों ने हाईजैक कर लिया था, तब उन्होंनेे लतीफ की रिहाई की भी मांग की थी, हालांकि उसकी रिहाई की मांग भारत ने स्वीकार नहीं की थी। प्लेन में सवार 189 यात्रियों और क्रू मेंबर्स की सकुशल रिहाई के एवज में भारत ने मसूद अजहर और दो अन्य आतंकियों को रिहा किया था।