सौम्या केसरवानी । Navpravah.com
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को ऐलान किया कि अमेरिका यरुशलम को इजराइल की राजधानी के रूप में मान्यता दे रहा है। ट्रंप ने कहा, “अतीत में असफल नीतियों को दोहराने से हम अपनी समस्याएं हल नहीं कर सकते।”
कहा जा रहा है कि यरुशलम के इजराइल की राजधानी बनने के बाद मध्य पूर्व में शांति प्रक्रिया तेज होगी और टिकाऊ समझौते के रास्ते खुलेंगे। ट्रंप की इस घोषणा से पहले जर्मनी के विदेश मंत्री ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि अगर उसने येरुशलम को इजराइल की राजधानी के तौर पर मान्यता दी तो इससे क्षेत्र में तनाव बढ़ेगा।
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने ट्रंप की योजना की आलोचना करते हुए कहा कि इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ईरान सरकार की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, रूहानी ने तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोआन से फोन पर बात भी की और ट्रंप की घोषणा को ‘गलत, अवैध, भड़काऊ एवं बेहद खतरनाक’ बताया है।
ट्रंप प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा, यरुशलम प्राचीन काल से यहूदी लोगों की राजधानी रहा है और आज की वास्तविकता यह है कि यह शहर सरकार, महत्वपूर्ण मंत्रालयों, इसकी विधायिका, सुप्रीम कोर्ट का केंद्र है।
एक दूसरे वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह कदम उठाने के साथ ट्रम्प अपना एक प्रमुख चुनावी वादा पूरा करेंगे। पूर्व में राष्ट्रपति चुनाव के कई उम्मीदवार यह वादा कर चुके हैं, अपने बयान में ट्रंप तेल अवीव से अमेरिकी दूतावास को यरुशलम स्थानांतरित करने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए विदेश मंत्रालय को आदेश भी देंगे।
पोप फ्रांसिस ने भी इस कदम को लेकर ‘‘गंभीर चिंता’’ जतायी और संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के अनुरूप शहर की यथास्थिति का सम्मान करने की प्रतिबद्धता जताने की अपील की है, हालांकि यरुशलम में एक कार्यक्रम में शामिल हुए इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप की घोषणा पर कोई टिप्पणी नहीं की।