जापान पर मिसाइल छोड़ नॉर्थ कोरिया का मोगैम्बो हुआ खुश

आनंद रूप द्विवेदी | Navpravah.com

उत्तर कोरिया का तानाशाह किम जोंग कल पडोसी देश जापान पर मिसाइल मारकर भारी ख़ुश हुआ है. मंगलवार तड़के सुबह जापान के ऊपर से मिसाइल छोड़ होकैडो द्वीप के पार समुद्र में पटक दी गई. जापान इस अनायास हमले से सकते में आ गया है. दुनिया भर की ताकतें नॉर्थ कोरिया की इस हरकत की भर्त्सना कर रही हैं.

मिसाइल परीक्षण की निगरानी में किम (PC: KCNA)

नॉर्थ कोरिया की सरकारी न्यूज़ एजेंसी  KCNA ने इस बात की आधिकारिक पुष्टि कर दी है कि जापान के ऊपर से मिसाइल छोड़ने का ये प्लान स्वयं किम का ही था. किम ने स्वयं इस पूरी लौन्चिंग का लुत्फ़ उठाया था. इसके लिए एक वीडियो भी जारी किया गया है. साथ ही वो तस्वीरें भी KCNA ने जारी की हैं जिनमें किम मिसाइल लॉन्च की निगरानी कर रहा है.

किम ने इस मिसाइल को ह्वासोंग-12 नाम दिया है. अखबार इस बात की पुष्टि करता है कि ये एक मिलिट्री मौक ड्रिल थी जिसे दक्षिण कोरिया और अमरीकी संबंधों में प्रगाढ़ता को देखते हुए किया गया है. साथ ही जापान के ऊपर से मिसाइल छोड़ने का सीधा मतलब ‘जापान-कोरिया समझौता August 29, 1910 जिसमें जापान द्वारा कोरिया पर अधिग्रहण के सम्बन्धों का हवाला दिया गया था , उसका प्रतिउत्तर था.

जापान पर लॉन्च की गई कोरियन मिसाइल ह्वासोंग-12 (PC: KCNA)

कहा जाए तो उत्तर कोरिया इस बात से बेहद खुश है कि उसने अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश की बात को भी अनसुना करके बेहद बहादुरी का काम कर दिखाया है. किम जोंग एक सख्त मिजाज़ शासक माना जाता है जिसके फैसले उत्तर कोरियाई सेना के लिए पत्थर की लकीर मानी जाती है. अखबार के अनुसार किम जोंग अमेरिका से किसी प्रकार की बात करने से ज्यादा कुछ कर दिखाने में यकीन रखते हैं.

उधर अमेरिका के राष्ट्रपति ने भी जापान पर किये गये इस हमले की प्रतिक्रिया बेहद कड़े शब्दों में की है. डॉनल्ड ट्रम्प लगातार उत्तर कोरिया को इस बात की सीधी चेतावनी दे चुके हैं कि किसी भी प्रकार का मिसाइल परीक्षण संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के नियमों का सीधा उल्लंघन माना जायेगा, और अमेरिका इसे बर्दाश्त नहीं करेगा.

KCNA उत्तर कोरिया का मुख पत्र है. जिसके अनुसार स्वयं किम जोंग इस मिसाइल परीक्षण से बेहद खुश हुए और भविष्य में भी ऐसे परीक्षण किये जाते रहेंगे. एक परमाणु सक्षम देश के द्वारा सामरिक गतिविधियों में इतनी तन्मयता, मानव सभ्यता के भविष्य के प्रति बेहद घातक संकेत है. आज जरूरत है तो विश्वस्तरीय समझौतों के प्रति बेहद सजगता से शांति स्थापना के समुचित प्रयास किये जाने की, अन्यथा किम जैसे तानाशाहों के हाथ घातक अस्त्र का होना किसी विभीषिका से कम नहीं.

 

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