न्यूज़ डेस्क | नवप्रवाह न्यूज़ नेट्वर्क
मध्य प्रदेश में अपना अस्तित्व तलाश रही कांग्रेस पार्टी की चुनौतियों को उसके नेता ही आए दिन बढ़ाते नज़र आते हैं। भाजपा नेतृत्व से भिड़ने के समय आपस में ही भिड़ने की वजह से कांग्रेस पार्टी की एक बार फिर किरकिरी हो गई है। उप चुनाव नज़दीक है, ऐसे में दो वरिष्ठ कांग्रेसियों के आपसी विवाद ने सियासी गर्मी बढ़ा दी है।
कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे डॉक्टर गोविंद सिंह और पूर्व खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल ने डॉक्टर गोविंद सिंह के खिलाफ ऐसी टिप्पणी की कि राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गयी।
पूर्व खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल ने कहा गोविंद सिंह ग्वालियर चंबल में सबसे बड़े डाकू हैं। जायसवाल तो गोविद सिंह को मलखान सिंह से भी बड़ा डाकू बता गए। उन्होंने गोविंद सिंह को भूमाफिया बताते हुए ग्वालियर चंबल का डकैत बताया। प्रदीप जायसवाल ने कहा भिंड ग्वालियर में अवैध खनन में हिस्सेदारी के लिए गोविंद सिंह दबाव की राजनीति करते रहे हैं। कांग्रेस सरकार में मंत्री रहते हुए उन्होंने विभाग को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया था और जमकर कमीशन खोरी की थी।
प्रदीप जायसवाल ने यह भी आरोप लगाया कि गोविंद सिंह के कारण ही पिछली सरकार में खनिज नीति को मंजूरी नहीं मिल पायी थी। यदि उस समय खनिज नीति को मंजूरी मिलती, तो प्रदेश को चार से 500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व हासिल होता। लेकिन उस समय मंत्री रहे डॉक्टर गोविंद सिंह ने खरीद नीति पर आपत्ति जताते हुए उसे अमल में लाने से रोक दिया।
नेतागीरी छोड़ धन्धा करें जायसवाल-
प्रदीप के आरोपों से नाराज़ डॉ. गोविंद सिंह ने भी जवाबी हमला बोल दिया। सिंह ने कहा, प्रदीप जायसवाल ने कांग्रेस को धोखा दिया है। निर्दलीय विधायक होने के बाद भी कांग्रेस सरकार में खनिज विभाग जैसी अहम जिम्मेदारी दी गई। बावजूद इसके जायसवाल ने जनसेवा की जगह सौदेबाजी को महत्व दिया। डॉ गोविंद सिंह ने उन्हें सलाह दी है कि वह राजनीति छोड़ कर पैसा कमाने के लिए धन्धा करें। राजनीति जनसेवा का माध्यम है। प्रदीप जायसवाल पैसा कमाने के लिए राजनीति में आए हैं, इसी बात से उनकी छवि का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।