सौम्या केसरवानी | Navpravah.com
राजस्थान चुनावों के मद्देनजर बीजेपी ने 131 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स की मानें तो इसमें से 85 मौजूदा विधायकों को फिर से टिकट देने से साफ संकेत मिलता है कि इस मामले में केवल मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की ही चली है।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सीएम वसुंधरा राजे ने केंद्रीय नेतृत्व पर दबाव डाला था कि उनके द्वारा नामित ऐसे विधायकों को दोबारा मौका मिलना चाहिए जिनके दम पर बीजेपी ने 2013 में जबर्दस्त कामयाबी हासिल की थी।
बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व और सीएम वसुंधरा के बीच सर्द रिश्तों के कयासों के बीच बीजेपी की तरफ से जारी लिस्ट से साफ हो गया कि शीर्ष नेतृत्व ने वसुंधरा राजे की पसंद पर ही अपनी मुहर लगाई है।
दरअसल उसके पीछे सबसे बड़ी वजह यह मानी जाती है कि जब भी शीर्ष नेतृत्व या संघ से वसुंधरा के बीच मनमुटाव की खबरें आती हैं तो हमेशा इन विधायकों को वसुंधरा के साथ खड़े देखा गया है।
वसुंधरा राजे की अपने विधायकों पर पकड़ के बारे में 2012 का एक किस्सा भी याद आता है, उस वक्त विधानसभा चुनाव से पहले जब राज्य के मौजूदा गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने मेवाड़ क्षेत्र में यात्रा निकालने की घोषणा की थी तो यही माना गया था कि वह संघ के समर्थन से मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में खुद को प्रोजेक्ट करने की कोशिशों में हैं।
लेकिन उस वक्त वसुंधरा राजे ने इसका विरोध किया और 50 से भी अधिक समर्थक विधायकों के साथ पार्टी छोड़ने की धमकी भी दी, इन सबका नतीजा यह हुआ कि कटारिया को अपनी प्रस्तावित यात्रा रद करनी पड़ी थी।
हालांकि इस साल की शुरुआत में अजमेर, अलवर लोकसभा उपचुनावों में बीजेपी की हार और यहां की सभी 16 सीटों पर बीजेपी के पिछड़ने की पृष्ठभूमि में राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा है कि सीएम वसुंधरा के लिए इस बार का चुनाव बेहद कठिन साबित होने जा रहा है।