एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
जम्मू कश्मीर की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों के लिए बड़ी दुविधा की स्थिति है, आलम यह है कि आतंकियों के हमदर्द उनको चोट पहुंचाने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं, वहीं दूसरी तरफ आतंकियों से किसी तरह अपनी जान बचाकर निकले CRPF के जवानों को मुजरिमों की तरह पुलिस के सवालों का सामना करना पड़ता है।
हाल में कुछ ऐसी ही बानगी श्रीनगर से महज चार किलोमीटर की दूरी पर बसे नौहट्टा हर में हुई घटना में देखने को मिली है, यहां हुई वहशियाना घटना में पत्थरबाजों की भीड़ ने जिप्सी में सवार CRPF के कमांडेंट सहित छह जवानों को जिंदा जलाने की कोशिश की थी।
इस मामले में जान लेने पर उतारू पत्थरबाजों के खिलाफ जम्मू कश्मीर पुलिस की तरफ से कोई कार्रवाई तो नहीं हुई, लेकिन किसी तरह से अपनी जान बचाकर निकले इन CRPF कर्मियों के खिलाफ पुलिस ने विभिन्न धाराओं के तहत दो FIR दर्ज कर ली है।
इसी FIR के सिलसिले में गुरुवार को नौहट्टा थाना पुलिस ने CRPF के कमांडेंट, जिप्सी के ड्राइवर और चार अन्य जवानों से लंबी पूछताछ की, सूत्रों के अनुसार पुलिस की पूछताछ का यह पहला चरण था।
सुरक्षाबल से जुड़े सूत्रों के अनुसार, एक जून को CRPF की 28वीं बटालियन की दो कंपनियों की तैनाती सेकेंड इन कमांड (कमांडेंट) एसएस यादव के नेतृत्व में नौहट्टा की कानून-व्यवस्था को बरकार रखने के लिए की गई थी।
1 जून की दोपहर कमांडेंट एसएस यादव अपनी सरकारी बुलटप्रूफ जिप्सी से डिप्लॉयमेंट के निरीक्षण के लिए निकले हुए थे। दोपहर करीब 3:45 बजे कमांडेंट एसएस यादव की जिप्सी जैसे ही नौहट्टा के ख्वाजा बैआर इलाके में पहुंची, पहले से मौजूद 400 से 500 पत्थरबाजों की भीड़ ने गाड़ी पर हमला कर दिया।
कमांडेंट की जिप्सी को बुरी तरह से किया क्षतिग्रस्त सुरक्षाबल से जुड़े सूत्रों के अनुसार, पत्थरबाजों की इस भीड़ ने कमांडेंट एसएस यादव की जिप्सी पर हमले के लिए हर उस चीज का इस्तेमाल किया, जो उस समय मौके पर मौजूद थी।
इन चीजों में लोहे की रॉड, डंडे, फर्नीचर, साइकिल सहित अन्य सामान भी शामिल था, पत्थरबाजों ने अपने इस हमले में कमांडेंट की जीप का बुलटप्रूफ ग्लास, आइरन ग्रिल, साइड मिरर और फॉग लाइन को बुरी तरह से चकनाचूर कर दिया, चार अन्य जवानों को लहुलुहान करने के इरादे से पत्थरबाज लगातार बड़े-बड़े पत्थर जिप्सी पर फेंकते रहे।
सुरक्षाबल से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इंटेलीजेंस द्वारा दी गई रिपोर्ट में बताया गया है, कि जिप्सी का गेट न खोल पाने की नाकामी ने पत्थरबाजों को बुरी तरह से झुंझला दिया, वह किसी भी तरह जिप्सी में बैठे CRPF के अधिकारी और जवानों को अपना शिकार बनाना चाहते थे।
इसी बीच, कुछ पत्थरबाजों ने जिप्सी को आग के हवाले करने की कोशिश भी की, पत्थरबाज अपनी इस कोशिश में कामयाब रहते तो शायद जिप्सी के भीतर मौजूद CRPF के कमांडेंट और जवानों का गाड़ी के भीतर से जिंदा निकलना नामुमकिन सा था।