अमित द्विवेदी | नवप्रवाह न्यूज़ नेट्वर्क
हाथरस में शनिवार सुबह बलात्कार पीड़िता के परिवार के लोगों से जब मीडियाकर्मी मिले, तो एक नई बात खुलकर सामने आई। पीड़िता के परिवार के लोगों ने कहा कि सरकार ने जिस एसआईटी का गठन जाँच के लिए किया है, उनपर भरोसा ही नहीं है। परिवार के इस बयान के बाद पूरा मामला ही बदलता नज़र आ रहा है। परिवार के लोगों का आरोप है कि एसआईटी के लोग आरोपियों के साथ मिले हुए हैं। पीड़िता के परिवार ने माँग किया है कि मामले की जाँच सर्वोच्च न्यायालय की देख-रेख में कराई जाए।
मीडिया से मुख़ातिब होते हुए पीड़िता की माँ ने कहा कि हम पुलिस से अपनी बच्ची की लाश माँगते रह गए लेकिन उन्होंने एक नहीं सुनी। अब हमें किसी एसआईटी और सीबीआई पर भरोसा नहीं रह गया। हमारी यही माँग है कि सर्वोच्च न्यायालय की देख रेख में जाँच हो और हमारी बेटी को न्याय मिले। पीड़िता की माँ ने कहा कि हमने आज तक कभी कोई बयान नहीं बदला इसलिए हम नार्को टेस्ट भी नहीं करवाएँगे।
ग़ौरतलब है कि शनिवार की सुबह हाथरस ज़िला प्रशासन ने मीडिया को पीड़िता के गाँव में प्रवेश करने की अनुमति दी। पीड़िता के अंतिम संस्कार को लेकर मीडिया से बात करते हुए पीड़िता की भाभी ने कहा, ‘सबसे पहले पुलिसवालों को स्पष्ट करना चाहिए कि उस रात किसके शव का अंतिम संस्कार किया गया था। वह हमारी लड़की का शरीर नहीं था, हमने इसे नहीं देखा। हम नार्को टेस्ट क्यों कराएं? हम सच कह रहे हैं, हम न्याय मांग रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि डीएम और एसपी का नार्को टेस्ट होना चाहिए, यही लोग झूठ बोल रहे हैं।
दादा 2006 में मर गए, पुलिस कह रही अंतिम संस्कार में वे थे मौजूद-
मृतक के दादा के शव का अंतिम संस्कार करने के समय उपस्थित होने की खबरों का खंडन करते हुए, उनकी भाभी ने कहा, ‘लड़की के दादा की मृत्यु 2006 में हुई थी। कोई कैसे दावा कर सकता है कि वह दाह संस्कार के दौरान मौजूद थे?’
परिवार के इन तमाम बयानों के बाद हाथरस प्रशासन और राज्य सरकार पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। मीडिया पर प्रतिबंध को लेकर भाजपा के ही कुछ नेताओं ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया था।