अनुज द्विवेदी
सुबह का सूर्य उगते ही भारतीय नव वर्ष प्रारंभ हो जायेगा। कल विक्रमी संवत 2072 समाप्त हो जायेगा और चैत्र महीना शुरू हो जायेगा। भारतीय नव वर्ष का पहला दिन यानि सृष्टि का आरम्भ दिवस, युगाब्द और विक्रम संवत जैसे प्राचीन संवत का प्रथम दिन, श्रीराम एवं युधिष्ठिर का राज्याभिषेक दिवस, माँ दुर्गा की साधना चैत्र नवरात्रि का प्रथम दिवस।
वास्तव में ये वर्ष का सबसे श्रेष्ठ दिवस है। हिन्दू नववर्ष का प्रारम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है। ब्रह्मपुराण के अनुसार, पितामह ब्रह्मा ने इसी दिन से सृष्टिनिर्माण प्रारम्भ किया था। इसीलिये यह सृष्टि का प्रथम दिन है। इसकी काल गणना बड़ी प्राचीन है।
सृष्टि के प्रारम्भ से अब तक 1 अरब, 95 करोड़, 58 लाख, 85 हजार, 111 वर्ष बीत चुके है। यह गणना ज्योतिष विज्ञान के द्वारा निर्मित है। आधुनिक वैज्ञानिक भी सृष्टि की उत्पत्ति का समय एक अरब वर्ष से अधिक बता रहे है। अपने देश में कई प्रकार की कालगणना की जाती है, जैसे- युगाब्द (कलियुग का प्रारम्भ), श्री कृष्ण संवत्, शक संवत् आदि है।
हिन्दुशास्त्रानुसार इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारम्भ गणितीय और खगोलशास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है। प्रतिपदा हमारे लिये क्यों महत्वपूर्ण है, इसके सामाजिक एवं ऐतिहासिक सन्दर्भ निम्न हैं-
1. इसी तिथि को रेवती नक्षत्र में विष्कुम्भ योग में दिन के समय भगवान के आदि अवतार मत्स्य रुप का प्रादुर्भाव भी माना जाता है।
2. युगों में प्रथम सत्ययुग का प्रारम्भ भी इसी तिथि को हुआ था.
3. मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम का राज्याभिषेक।
4. माँ दुर्गा की उपासना का नवरात्रि व्रत प्रारम्भ।
5. युगाब्द (युधिष्ठिर संवत्) का आरम्भ।
6. उज्जयिनी सम्राट- विक्रामादित्य द्वारा विक्रमी संवत् प्रारम्भ।
7. शालिवाहन शक् संवत्
8. महर्षि दयानंद द्वारा आर्य समाज की स्थापना।
किसानो के लिये यह नव वर्ष के प्रारम्भ का शुभ दिन माना जाता है।