शिखा पाण्डेय । Navpravah.com
अर्ज़ किया है, “तू अपने गरीब होने का दावा मत कर ऐ दोस्त, हमने देखा है तुझे बाजार से टमाटर लाते हुए।” जी हाँ। पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया में ऐसे तमाम चुटकुले छाये हुए हैं। कभी बाजार में सूरज की लालिमा की तरह चहुँ ओर छाया टमाटर, आज ‘गौने की दुल्हन’ बन गया है। लगभग एक महीने से टमाटर के चढ़े दाम कतई उतरने का नाम नहीं ले रहे। उतरने की बात तो दूर, जो टमाटर 10 दिन पहले तक करीब 80 रुपये प्रति किलो बिक रहा था, अब 100 से 120 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है। इतना ही नहीं, जानकारों की मानें तो टमाटर के दाम अभी और चढ़ेंगे। इसका मतलब यह, कि अगले कुछ दिन टमाटर प्रेमियों के प्रेम पर ‘टमाटर ग्रहण’ छाया रहेगा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, जिन मंडियों में रोजाना लगभग 500 टन टमाटर की खपत थी, उन मंडियों में सिर्फ 200 से 250 टन ही टमाटर आ रहा है। अभी तक सबसे ज्यादा टमाटर महाराष्ट्र और कर्नाटक से आता था। पश्चिम बंगाल से भी टमाटर की ठीक-ठाक सप्लाई हो जाती थी। हिमाचल और हरियाणा भी टमाटर में हाथ बंटाते थे, लेकिन इस वक्त हालात ये हैं कि विभिन्न कारणों के चलते महराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और कर्नाटक से टमाटर की सप्लाई न के बराबर हो रही है। जो टमाटर आ रहा है, वो सप्लाई के हिसाब से अति काम है।
टमाटर के महंगे होने की बड़ी वजह सप्लाई का काम होना है। टमाटर के दाम आसमान छूने का मुख्य कारण स्थानीय फसल नहीं आना और समय पर बरसात नहीं होना है। वर्तमान में अधिक बरसात के कारण किसान टमाटर रोपण की हिम्मत नहीं कर रहे हैं। अधिक बरसात से टमाटर की फसल प्रारंभ में ही बर्बाद हो जाती है।
टमाटर के व्यापरियों का कहना है कि आने वाले एक सप्ताह में टमाटर के भाव और अधिक हो सकते हैं। बाजार का उलट फेर इस कदर देखने को मिल रहा है कि जो व्यापारी जिले में टमाटर खरीदने के लिए आते थे, वही व्यापारी यहां वर्तमान में टमाटर बेचने के लिए आ रहे हैं। जानकारों की मांगें तो अक्टूबर माह में अधिक पैमाने पर स्थानीय फसल के आने पर हालात बदल सकते हैं और करीब एक माह के बाद लोकल टमाटर बाजार में उपलब्ध हो जाएंगे, जिसके बाद टमाटर व सब्जियों के भाव गिरने की उम्मीद है।