सौम्या केसरवानी । Navpravah.com
इराक में लापता 39 भारतीयों के मुद्दे पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने लोकसभा में बयान देते हुए कहा कि ये मामला बहुत गंभीर है, मैं इस बात को हंगामे के दौरान नहीं बोलूंगी, पूरा देश इस मामले को सुनना चाहता है।
सुषमा स्वराज ने कहा कि मैं शुरू से ही लोकसभा में बयान देना चाहती थी, ये घटना हमारी सरकार आने के 20 दिन बाद की है। उस समय हरजीत ने ये बयान दिया था कि मैं मेरे सामने 39 लोगों को मार दिया गया था और मैं भाग कर आ गया था। लेकिन हमें ना ही कहीं लाशें मिली, ना ही कोई सूची मिली, और इसलिए हम कैसे कह सकते हैं। हरजीत के बयान में काफी विरोधाभास है, जिस मुद्दे को उठाया गया था, हमने मोसुल के आस-पास तलाशी ली है, मैंने जो कुछ भी किया है वह सदन को विश्वास में लेकर किया।
24 नवंबर 2014 को मैंने कहा था कि एक व्यक्ति कह रहा है कि वो मार दिए गए हैं, और 6 सूत्र कह रहे हैं कि वो जिंदा हैं तो मुझे क्या उन्हें ढूंढना नहीं चाहिए। मैंने बार-बार सदन से कहा था कि मेरे पास उनके जीवित होने का कोई सबूत नहीं है, ना ही मेरे पास उनके मारे जाने का कोई ठोस सबूत नहीं है। मैं सदन की अनुमति चाहूंगी कि अगर मेरा रास्ता सही है तो हम इसमें आगे बढ़ सके।
तीन साल से मिसलीड करने का आरोप लगाया गया, बिना ठोस सबूत के उन्हें मरा हुआ घोषित नहीं कर सकती है, ऐसा करना पाप है मैं ये पाप कभी नहीं करुंगी। मुझे पता लगा कि इसमें टर्की से मदद मिल सकती है, मैं खुद टर्की गई थी बात करने के लिए।
हमारे सूत्र ऐसे वैसे नहीं हैं हमें एक देश के राष्ट्रपति, एक देश के विदेश मंत्री ने ये बताया है, मैं 12 बार पीड़ितों के परिवार से मिली हूं, मैंने हर बार कहा कि मेरे पास उनके जीवित रहने की कोई जानकारी नहीं है, मैं सूत्रों के हवाले से ये कह रही हूं। उनकी फाइल तब तक बंद नहीं कर सकते हैं जब तक कोई सबूत ना हो।
सुषमा ने कहा कि अगर मैं आज कह दूं कि वो मर गए हैं पर कल को कोई जीवित हुआ तो किसे दोष देंगे, अगर किसी परिवार वाले का मुझ पर से भरोसा उठ गया है तो वे आजाद हैं।
9 तारीख को मोसुल आजाद होने की घोषणा की गई, 10 तारीख को हमारे विदेश मंत्री मोसुल पहुंच गए थे, वो 4 दिन वहां पर रहे, वीके सिंह के आने के बाद ही मैंने पीड़ितों के परिवार को बुलाया, वीके सिंह ने कहा था कि हमारे सूत्रों के हवाले से वो लोग वहां पकड़े गए, फिर उन्हें हॉस्पिटल में रखा गया फिर खेती करवाई गई। लेकिन 2016 के बाद से हमारा उनसे कोई संपर्क नहीं है, हमें जो पता लगा हमनें वही परिवार को बताया।
सुषमा बोलीं कि तस्वीर बस इतना बताती है कि जेल ढह गई है, लेकिन तस्वीर से ये नहीं पता लगता है कि सभी लोग मार दिए हैं। इराक के विदेश मंत्री ने कहा कि हमारे पास ना ही जिंदा होने या मारे जाने का ठोस सबूत है, 2016 के बाद कोई सूचना नहीं है, लेकिन फिर भी तलाश जारी है, मैंने उनसे अपील की है कि अब जो भी जानकारी दें तो सबूत के साथ दें, बिना सबूत अब मैं परिवार से बात नहीं कर सकती हूं।
सुषमा ने कहा कि सबूत के तौर पर अगर वो हिंदी में अपना नाम और घर का पता लिख कर दें तो हमें मदद मिलेगी, हमें उनकी ओर से पूरा भरोसा दिया गया है। मैंने कभी संसद को गुमराह नहीं किया, मुझे गुमराह करने का क्या फायदा मिलता।
सुषमा ने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि पंजाब के 6 परिवार उनसे मिलने आए, और कहा कि 1971 की लड़ाई में उन्हें शहीद घोषित कर दिया गया था लेकिन 45 साल बाद गांव के पास का व्यक्ति लौट कर आया और कहा कि वो लोग जिंदा हैं, तब से वो परिवार कह रहा है कि हमारे परिवार वालों को वापस लाना चाहिए। सुषमा बोलीं कि एक बच्चा 7 साल का बच्चा 21 साल पहले खेत में अपने पिता के साथ खेलते-खेलते सरहद पार कर गया, उसका नाम नानक सिंह है, लेकिन उसके परिवार वाले कहते हैं कि वो पाकिस्तान में है उसे वापस लाओ। मेजर धनसिंह थापा को पहले शहीद घोषित किया, उन्हें पुरस्कार दिया लेकिन बाद में वो जिंदा निकले। सुषमा ने कहा कि मैं जो भी बात बोलूंगी वो सबूत के साथ बोलूंगी, मैंने कभी नहीं कहा कि वो जिंदा हैं या मारे गए हैं, जब तक कोई ठोस सबूत नहीं मिलता है मैं कोई नतीजे पर नहीं पहुंच सकते हैं। यदि कोई सबूत ऐसा मिलेगा जो इसका खुलासा करेगा, मैं उस दिन का इंतजार करुंगी।
एक निजी चैनल के खुलासे के बाद कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की थी, एनडीए की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने भी इन लोगों के जिंदा होने या नहीं होने के मामले में सरकार से जवाब की मांग की थी, साथ ही इन लोगों ने सरकार से यह भी जानना चाहा कि क्या भारतीय खुफिया तंत्र इस मामले में विफल साबित हुआ है।