अनुज हनुमत | Navpravah.com
इलाहाबाद। संगम नगरी प्रयाग में गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम तट पर लगने वाले माघ मेले में अगले स्नान की तैयारी जोरों पर है। पिछले दो स्नानों को सकुशल सम्पन्न कराने के बाद प्रशासन भी मौनी अमावस्या के दिन होने वाले तीसरे स्नान के लिए पूरी तरह तैयार है। इस बार भी जिलाधिकारी संजय कुमार की अगुवाई में प्रशासन संगम क्षेत्र खासकर घाटों की स्वच्छता और सुरक्षा को लेकर काफी गंभीर है।
नवप्रवाह मीडिया से ख़ास बातचीत में जिलाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि इस बार हमने स्वच्छता से लेकर श्रद्धालुओं की सुरक्षा हेतु विशेष व्यवस्थाएं की हैं। घाटों पर किसी भी अप्रिय घटना से निपटने हेतु 24×7 जल पुलिस की टुकड़ियां मुस्तैद हैं। उन्होंने बताया कि आगामी 27 तारीख के स्नान को देखते हुए घाटों के पास पूरे संगम क्षेत्र में ट्वायलेट्स, क्लॉथ चेंजिंग रूम्स की संख्या बढ़ाई जा रही है, जिससे मेले में आने वाले किसी भी श्रद्धालु को दिक्कत न हो।
ज़िलाधिकारी ने बताया कि अगले स्नान के दिन घाटों पर आरएएफ तथा पुलिस की पर्याप्त टीम रहेगी। सेना के हेलीकॉप्टर तथा ड्रोन से निगरानी की जायेगी। इसके अलावा भीड़ में सादी वर्दी में भी फोर्स तैनात होगी। उनके साथ एलआईयू तथा आईबी के लोग भी तैनात रहेंगे। संगम पर स्नान हेतु जल की पर्याप्त मात्रा है, किसी भी स्नानार्थी को कोई परेशानी नहीं होगी।
गौरतलब हो कि इलाहाबाद में गंगा, यमुना एवं विलुप्त हुई पौराणिक नदी सरस्वती के संगम पर हर स्नान के दौरान हजारों – लाखों श्रद्धालु सुदूर जिलों और प्रदेशों से आकर डुबकी लगाते हैं। एक माह तक चलने वाले माघ मेले में आस्था के कई अलग अलग रंग देखने को मिलते हैं। इलाहाबाद में गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम तट पर लगने वाले माघ मेले में इस बार दूध की धारा भी बहेगी! जी हां आपको बता दें कि इस बार माघ मेला क्षेत्र में पराग डेयरी 40 दुकानें लगाकर दूध की बिक्री करेगा। वहीं खाद्य विभाग भी राशन की 26 दुकानें खोलेगा।
क्यों खास है माघ मेला-
कल्पवासी पूरे एक महीने तक मेले में कल्पवास करते हैं। हजारों वर्षों से ऐसी मान्यता है कि कल्पवास करने वाले व्यक्ति को जीते जी मोक्ष की प्राप्ति होती है और फिर ऐसे व्यक्ति को किसी भी तीर्थ जाने की जरूरत नहीं होती। मान्यता है कि माघ के महीने में प्रयाग में न सिर्फ लोग कल्पवास करते हैं, बल्कि 33 कोटि देवी-देवता भी वहीं रहते हैं। कल्पवास करने वाले साधकों को वो किसी न किसी रूप में दर्शन देते हैं। इसलिए भक्त अपना घर और मोह-माया छोड़कर यहां धार्मिक कार्यों में लीन रहते हैं।
कल्पवास किसी तपस्या से कम नहीं है, क्योंकि इसमें सिर्फ एक समय ही भोजन किया जाता है और स्नान तीन बार। कल्पवास में रहने के दौरान दान भी करना होता है। अन्न, काला तिल, ऊन, वस्त्र व बर्तन आदि का लोग दान करते हैं।
सुरक्षा की चाकचौबंद व्यवस्था-
पूरे एक महीने चलने वाले माघ मेले को सकुशल सम्पन्न कराने हेतु प्रशासन ने भी अपनी कमर कस रखी है । इस बार पूरे मेला क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं। इन सीसीटीवी कैमरे से मेले में सुरक्षा के मद्देनजर निगरानी रखी जा रही है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पूरे मेला क्षेत्र में ट्रैफिक और सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात है। मेले में जाने के लिए अलग पॉन्टून पुल का इस्तेमाल किया जा रहा है। वापस आने वाले श्रद्धालुओं को वापसी वाले पॉन्टून पुल से भेजा जा रहा है । घाटों पर होने किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए इस बार प्रशासन काफी सतर्क है । इसीलिए डेढ़ सौ गोताखोर स्नान घाटों पर लगाये गए हैं जो हर पल घाटों पर नजर बनाए रखेंगे ।
नोटबन्दी का दिख रहा असर-
इस बार माघ मेला में भी नोटबन्दी का असर देखने को मिल रहा है। दुकानों में भीड़ कम दिख रही है। कई दुकानदारों ने भी माना कि नोटबन्दी के कारण इस बार ‘मार्केट डाउन’ है। संगम क्षेत्र में हमने कई पंडो से जब बात की तो उन्होंने भी माना कि इस बार नोटबन्दी के कारण लोगों की संख्या बहुत कम है और मेला की रंगत भी फीकी है। फिलहाल मेला क्षेत्र में कई लोगों का यह भी मानना था कि नोटबन्दी का फैसला सही था और धीरे धीरे इसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं ।
प्रशासन ने किये कुछ नए प्रयोग-
इस बार प्रशासन ने आम लोगो के लिए हेलीकॉप्टर के साथ हॉट एयर बैलून से सैर की व्यवस्था की है । यही नही मेले के कुछ हिस्से में मुफ्त वाई-फाई, मोबाइल और माइक्रो एटीएम जैसी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ साथ सादगी और प्रदूषण मुक्त मेले के लिए पॉलीथिन प्रतिबंधित की गई है ।
कब कब होंगे स्नान-
°पौष पूर्णिमा 12 जनवरी
°मकर संक्रांति 14 जनवरी
°मौनी अमावस्या 27 जनवरी
°बसंत पंचमी 01 फरवरी
°माघी पूर्णिमा 10 फरवरी
°महाशिवरात्रि 24 फरवरी