शिखा पाण्डेय|Navpravah.com
हरियाणा पुलिस के साथ 38 दिनों तक लुक्का-छिप्पी का खेल खेलती हनीप्रीत के रोज़ कुछ नए राज़ खुल रहे हैं। हनीप्रीत भले अपने आप के और अपने ‘मुंहबोले पापा’ गुरमीत राम रहीम के निर्दोष होने का निरंतर दावा कर रही हो, लेकिन उन दोनों से जुड़े लोग एक-एक कर अपना मुंह खोल रहे हैं और उनकी काली करतूतों के किस्से उजागर कर रहे हैं। इसी के तहत हनीप्रीत के साथ पकड़ी गई सुखदीप कौर नाम की महिला ने खुलासा किया है कि हनीप्रीत जब पुलिस से बच रही थी, तो इस दौरान उसने 17 सिम कार्ड्स इस्तेमाल किए थे।
सुखदीप कौर ने पुलिस को बताया कि 25 अगस्त को हिंसा के बाद हनीप्रीत सिरसा में डेरा सच्चा सौदा मुख्यालय से तमाम सबूत मिटाने के लिए वहाँ गई थी और वो ऐसा करने में काफी हद तक कामयाब भी रही। सुखदीप ने बताया कि जैसे ही हनीप्रीत को भनक लगती थी, कि पुलिस को उसके द्वारा इस्तेमाल किए गए नंबर की जानकारी मिल गई है, तो वो उस सिम कार्ड को तोड़ देती थी। सूत्रों के मुताबिक, सुखदीप ने ये भी बताया कि इन्हीं सिम कार्ड्स में से एक सिम कार्ड का इस्तेमाल करके हनीप्रीत ‘गुरलीन इंसा’ के नाम से अपना फर्जी फेसबुक आईडी भी चला रही थी।
सुखदीप कौर के मुताबिक इन 38 दिनों में जब हनीप्रीत पुलिस से बच रही थी, उस दौरान भी डेरा सच्चा सौदा के सिरसा मुख्यालय और बाकी नाम चर्चा घरों में उसी का आदेश चलता था। प्राप्त जानकारी के अनुसार हनीप्रीत को पूरा अंदेशा हो गया था कि जिस तरह का माहौल डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ बन रहा है, उसके बाद डेरे पर रेड ज़रूर की जाएगी। इसी वजह से उसने पुलिस के सर्च ऑपरेशन से पहले ही वहां पहुंचकर तमाम सबूत हटवाए और फिर अंडरग्राउंड हो गई।
सुखदीप कौर ने पुलिस को बताया कि हनीप्रीत इन 17 सिम कार्ड्स के जरिए लगातार आदित्य इंसा, पवन इंसा और डेरे के तमाम फरार चल रहे लोगों के साथ संपर्क में थी। सुखदीप ने बताया कि हनीप्रीत जब कार में बैठकर किसी भी शख्स से बात करती थी, तो इस दौरान वो उसे कार से उतार देती थी और कार को लॉक कर के अकेले में ही बात करती थी, ताकि जो भी बातचीत वह कर रही है, वो किसी को भी पता ना लग सके। इसका तात्पर्य यह है कि खुद सुखदीप कौर, जिसने उसे पुलिस की गिरफ़्त से इतने दिनों तक बचाकर रखा, हनीप्रीत को उस पर भी भरोसा नहीं था।