अनुज हनुमत,
आज एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार से कहा कि वह कल दोपहर तक रिपोर्ट पेश कर उसे सूचित करे कि क्या उसने 30 सितंबर के न्यायिक निर्देश के अनुरूप तमिलनाडु के लिये कावेरी नदी से जल छोड़ा है। इसी बीच केन्द्र सरकार ने भी शीर्ष अदालत में एक अर्जी दाखिल कर न्यायालय से अपने पहले के उस आदेश में सुधार का अनुरोध किया है, जिसमें उसे मंगलवार तक कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया गया था।
आज कोर्ट में कार्यवाही के दौरान केन्द्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने न्यायालय से कहा कि इस बोर्ड का गठन करने के लिये केन्द्र से नहीं कहा जाना चाहिए था। इस मसले पर मुख्य दीवानी अपील अभी भी लंबित है और बोर्ड का गठन करने की जिम्मेदारी कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में आती है। न्यायमूर्ति दीपक मिश्र और न्यायमूर्ति सी नागप्पन की पीठ केन्द्र सरकार की अर्जी पर कल सुनवाई करेगी।
शीर्ष अदालत ने अपने 30 सितंबर के आदेश पर अमल के बारे में कर्नाटक सरकार से कल अपराह्न दो बजे तक रिपोर्ट मांगी है। गौरतलब हो कि शीर्ष अदालत ने 30 सितंबर को कर्नाटक को निर्देश दिया था कि वह एक से छह अक्तूबर के दौरान तमिलनाडु को छह हजार क्यूसेक जल की आपूर्ति करे और इसके साथ ही न्यायालय ने आगाह किया था कि किसी को यह पता नहीं होता है कि कब वह कानून का कोप का शिकार होगा।
न्यायालय ने केन्द्र को भी कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया था। न्यायालय ने कहा था कि एक बार यह बोर्ड गठित हो जाने पर इसका दल मौके का निरीक्षण करके वस्तुस्थिति का अध्ययन करेगा और फिर अपनी रिपोर्ट पेश करेगा। कर्नाटक ने तमिलनाडु को कावेरी जल छोडे जाने के बारे में 20, 27 और 30 सितंबर के तीन न्यायिक आदेशों और कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड गठित करने का केन्द्र को निर्देश दिये जाने पर पुनर्विचार के लिये 1 अक्तूबर को न्यायालय में एक याचिका दायर की थी। देखना होगा कि अब कर्नाटक सरकार इस पर क्या रूख अपनाती है।