अनुज हनुमत,
पिछले वर्ष पूरे सत्र भर इलाहाबाद विश्वविद्यालय का कैम्पस छात्र संघ और विवि प्रशासन के आपसी विवाद की आग में जलता रहा। इस विवाद से आम छात्रों की पढ़ाई का भी जमकर नुकसान हुआ। पिछला सत्र समाप्त हो चुका है और एक साल की इस पूरी समयावधि में छात्र संघ के अंदर ही तनातनी जारी रही। इस बीच कई दफे पूरा कैम्पस छावनी में तब्दील रहा। हंगामे की आग दिल्ली के सियासी गलियारों से होती हुई, लोकसभा तक भी पहुंची। लेकिन अब सभी को उम्मीद है कि नए छात्र संघ चुनाव के बाद बहुत कुछ बदल जायेगा।
दरअसल इविवि ही नहीं बल्कि पूरे देश की नजर इस प्रतिष्ठित शैक्षिणिक संस्थान में होने वाले आगामीे छात्र संघ चुनावों पर टिकी है। अगर हम पिछले वर्ष की घटनाओं पर नजर डालें तो इसका कारण आसानी से समझ आ जायेगा। पिछले वर्ष अनगिनत ड्रामों के बीच छात्र संघ का चुनाव सम्पन्न हुआ और विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार स्वतन्त्रता के बाद कोई महिला छात्र संघ अध्यक्ष बनी। बाकी के पदों पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का कब्जा हुआ। बस यहीं से शुरू हुई आपसी खींचातानी, जिसने देखते ही देखते प्रतिद्वंद्व का स्वरुप ले लिया। लेकिन अब सबको आशा है कि आने वाला नया छात्र संघ जरूर इन कमियों को पूरा करेगा।
अगले चुनाव को लेकर हमने कैम्पस में कई छात्रों से बातचीत की। अधिकांश छात्र इस विषय पर एकमत दिखे। छात्रों ने कहा,” इस बार का चुनाव शांति से सम्पन्न होना चाहिए और हम उसी उम्मीदवार को प्राथमिकता देंगे, जो वास्तव में छात्रों की समस्याओं के लिए लगातार कैम्पस में रहकर संघर्ष करे और जिसे छात्रों और कैम्पस की समस्याओं का समुचित ज्ञान हो। हमें इस बार किसी प्रकार का विवाद नहीं चाहिए और न ही कैम्पस में पुलिस या मिलिट्री चाहिए। हमें तो पढ़ाई लिखाई का स्वच्छ, सुंदर और शांत माहौल चाहिए जिसमें डर, भय और लड़ाई न हो।
हमने अध्यक्ष पद के कुछ संभावित उम्मीदवारों से भी बातचीत की तो उन्होंने एक सुर में कहा कि हमारे लिए छात्रहित ही सर्वोपरि होगा।
इस बार के चुनाव को लेकर जिस प्रकार का उत्साह कैम्पस में देखने को मिल रहा है, उससे इतना तो स्पष्ट है कि इस बार का चुनाव काफी जबरदस्त होने वाला है। वोट डालने वाला छात्र भी जागरूक दिख रहा है और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार भी। अब देखना दिलचस्प होगा कि इस बार छात्र संघ चुनाव का क्या परिणाम होगा।