अमित द्विवेदी | Navpravah.com
कोच्चि मेट्रो ट्रेन के उद्घाटन समारोह के अवसर पर मंच पर श्रीधरन को न बुलाने की वजह से केंद्र की मोदी सरकार की चौतरफा आलोचना की जा रही है, लेकिन अब खबर ये आ रही है कि पीएम मोदी ने मेट्रो मैन के लिए कुछ और ही सोच रखा है. सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, पीएमओ ने ऐसा जान बूझकर किया है.
कोच्चि मेट्रो का शनिवार को उदघाटन है, जिसके लिए पीएम मोदी के साथ मंच पर उपस्थित रहने वालों की लिस्ट जारी की गई, तो विरोधियों ने अपने स्वर तेज़ कर लिए, क्योंकि मंच पर उपस्थित रहने वालों की लिस्ट में ई श्रीधरन का नाम ही नहीं है. इस मसले में केरल सरकार ने पीएमओ को पत्र लिखकर ध्यानाकर्षित करने की कोशिश की कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस सम्बन्ध में जो निर्णय लिया है, वह अनुचित है और उन्हें इस पर पुनः विचार करना चाहिए.
दरअसल इस सम्बन्ध में केरल सरकार ने कहा कि श्रीधरन ही नहीं, ऐसे और भी कई लोग हैं जिनका नाम इस लिस्ट में जोड़ा जाना चाहिए, लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय ने तो मेट्रोमैन को भी इससे वंचित कर दिया. इस खबर से विपक्ष को मौक़ा मिल गया और अवसर का लाभ उठाते हुए विपक्ष ने केंद्र सरकार की तीखी आलोचना भी कर डाली.
ज्ञातव्य है कि १७ जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव होना है, और प्रबल संभावना है कि सत्तारूढ़ बीजेपी-एनडीए श्रीधरन को अपना उम्मीदवार भी चुन ले. कयास लगाया जा रहा है कि इसी योजना के चलते केंद्र सरकार ने उन्हें मंच से दूर रखा.
सूत्रों के हवाले से तो खबर यह भी आ रही है कि श्रीधरन ने खुद इस पर इसलिए आपत्ति नहीं की, क्योंकि उन्हें इसके बारे में बताया जा चुका है. अब देखना यह होगा कि अगर वास्तव में बीजेपी ने राष्ट्रपति के लिए श्रीधरन का नाम आगे किया तो इसके बाद विपक्षी दल क्या रणनीति अपनाएंगे, क्योंकि उनके लिए श्रीधरन का विरोध करना आसान नहीं होगा.
इस खबर के बाद कहीं न कहीं भाजपा में ही एक गुट ऐसा भी तैयार हो सकता है, जो प्रधानमंत्री और शीर्ष नेतृत्व का विरोध शुरू कर दे. क्योंकि लम्बे समय से यही माना जाता रहा है कि बीजेपी अपना उम्मीदवार आडवाणी को ही चुनेगी और ऐसे में इस तरह की खबर विरोध की आग को हवा ज़रूर दे सकती है.