ऑक्सीजन को फ्यूल के रूप में इस्तेमाल करने वाले ‘स्क्रैमजेट इंजन’ का सफल परीक्षण, इनसेट 3डीआर का प्रक्षेपण सितंबर तक के लिए टला

शिखा पाण्डेय,

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज बाहर की (एटमॉस्फियर) ऑक्सीजन को फ्यूल के रूप में इस्तेमाल करने वाले ‘स्क्रेमजेट इंजन’ का सफल परीक्षण किया। इसके अतिरिक्त भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान यानी जीएसएलवी-एमके द्वितीय के साथ मौसम उपग्रह इनसैट-3डीआर का प्रक्षेपण सितंबर तक के लिए टाल दिया गया है।

स्क्रैमजेट इंजन का परीक्षण निर्धारित समयानुसार सुबह 6 बजे किया गया। जब हवा की गति प्रक्षेपण के लिए अनुकूल लगी तब रॉकेट ने उड़ान भरी। एसडीएससी के निदेशक ने इसके सफल परीक्षण के बाद बताया कि स्क्रैमजेट इंजन के परीक्षण के उद्देश्य से आरएच-560 साउडिंग रॉकेट के प्रक्षेपण के लिए रविवार सुबह 6 बजे का वक्त निर्धारित किया गया था।

क्या है स्क्रैमजेट-

स्क्रैमजेट एक सुपरसोनिक इंजन है जो रॉकेट को 5 मैक या उससे ऊपर उड़ने में सहायता प्रदान करता है। इन इंजनों में कोई गतिशील भाग मौजूद नहीं होता है। स्क्रैमजेट इंजन में ऑक्सीजन को द्रवित करने की क्षमता होती है, साथ ही वह इसे रॉकेट या जहाज में संग्रहित भी कर सकता है।

इस इंजन को सतीश धवन स्पेस सेंटर (SDSC) में बनाया गया है। साइंटिस्ट्स का कहना है कि इंजन का यूज रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल (RLV) में हाईपरसोनिक स्पीड (साउंड की स्पीड से तेज) हासिल करने के लिए किया जाएगा। इस टेस्ट के साथ ही भारत ने अमेरिका के नासा की बराबरी कर ली है और जापान-चीन-रूस को पीछे छोड़ दिया है। साइंटिस्ट्स का ये भी कहना है कि स्क्रेमजेट इंजन हल्का होने के साथ ऑर्बिट में भारी पेलोड स्थापित करने करने में मददगार होगा।

विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के डायरेक्टर के. सीवान ने बताया, “यह टेस्ट इस लिहाज से अहम है कि स्क्रेमजेट इंजन को आरएलवी में यूज किया जाएगा। इस टेस्ट के दौरान इंजन में ऑक्सीजन के कंबशन (जलने) और दबाव को लगातार जांचा गया।  इंजन की एयर-ब्रीदिंग टेक्नोलॉजी में उसे हवा में ही ऑक्सीजन लेकर फ्यूल में कन्वर्ट करना है। इससे रॉकेट को सुपरसोनिक स्पीड मिलेगी।” उन्होंने बताया कि अगर हम इसे 5 सेकंड तक यह कर सकते हैं तो 1000 सेकंड्स तक भी कर सकते हैं। स्क्रेमजेट का फुल स्केल पर आरएलवी में भी टेस्ट किया जाएगा।

गौरतलब है कि स्क्रैमजेट इंजन का प्रयोग केवल रॉकेट के वायुमंडलीय चरण के दौरान ही हो सकता है। यह ईंधन के साथ प्रयोग होने वाले ऑक्सीडाइजर की मात्रा को कम करके प्रक्षेपण लागत को कम करने में मददगार साबित होगा।

1 COMMENT

  1. अब लग रहा है की भारत जल्द विश्व गुरु बनेगा| थैंक यू इसरो

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