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सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव के सम्बन्ध में एक अहम फैसला किया है. न्यायालय ने पंचायत चुनाव के उम्मीदवारों की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता निर्धारित की है, जिससे अब यह चुनाव लड़ना पहले जैसे आसान नहीं होगा. पंचायत चुनाव के लिए उच्चतम न्यायालय ने न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता के साथ ही कुछ और महत्वपूर्ण शर्तें पूरी करने की बात कही है. इन सभी मापदंडों में खरा उतरने वाला व्यक्ति ही पंचायत चुनाव लड़ने के योग्य माना जाएगा.
दरअसल हरियाणा सरकार के एक फैसले के खिलाफ हुई सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने यह अहम फैसला किया. न्यायालय ने स्पष्ट किया कि पंचायत चुनाव लड़ने के लिए कुछ प्रमुख बिन्दुओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए, जिससे साफ़ सुथरे छवि के लोग ही चुनाव में हिस्सा ले सकें.
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार पंचायत चुनाव लड़ने के लिए निम्नलिखित बिन्दुओं पर ध्यान देना होगा.
1. जो व्यक्ति सामान्य श्रेणी (जनरल कैटेगरी) से सम्बन्ध रखता है, उसके लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता दसवीं पास होगा.
2. दलित और महिलाओं के लिए चुनाव लड़ने की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता आठवीं पास है.
3. किसी भी उम्मीदवार का बिजली का बिल या बैंक लोन बाकी नहीं होना चाहिए और
4. उम्मीदवार पर किसी गंभीर आरोप का चार्जशीट फाइल नहीं होनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट के इस नियम के लागू होते ही उम्मीदवारों की लिस्ट में भारी गिरावट आने की संभावना है. एक आंकड़े के मुताबिक न्यायलय के इस नए नियम के बाद लगभग 43 प्रतिशत उम्मीदवारों की संख्या खुद-ब-खुद कम हो जाएगी, क्योंकि ज़्यादातर पंचायत चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी इन मापदंडों पर खरे नहीं उतरते.