शिखा पाण्डेय,
समाजवादी पार्टी का अंदरूनी ड्रामा समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा। एक बार राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव द्वारा अपने बेटे , उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व भाई रामगोपाल यादव को पार्टी से 6 सालों के लिए निकाला गया, फिर 2 दिन के भीतर ही तमाम उठापटक के बाद निष्कासन रद्द कर दिया गया, फिर रामगोपाल यादव द्वारा आज बुलाये गए अधिवेशन में अखिलेश को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया गया और फिर झुंझलाए मुलायम द्वारा रामगोपाल को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। 2 दिनों के भीतर कहानी में इतने ट्विस्ट आये, कि जनता के आश्चर्य का कोई ठिकाना नहीं रहा।
रामगोपाल द्वारा अखिलेश को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किए जाने कब बाद अब मुलायम सिंह ने इन दोनों द्वारा बुलाए गए आज के विशेष राष्ट्रीय अधिवेशन को असंवैधानिक और अवैध करार दिया है। इसके साथ ही उन्होंने 5 जनवरी को लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया है। मुलायम सिंह ने पत्र लिखकर कहा है कि कुछ लोग उन्हें बेइज्जत कर भाजपा को फायदा पहुंचाना चाहते हैं। उन्होंने पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव को फिर से 6 साल के लिए पार्टी से बाहर निकाल दिया है।
उल्लेखनीय है कि अखिलेश व रामगोपाल के समर्थकों को मुलायम टीम द्वारा बाग़ी करार दे दिया गया है और इस बागी गुट के राष्ट्रीय अधिवेशन से पहले मुलायम सिंह ने पत्र लिखकर कार्यकर्ताओं से अधिवेशन में शामिल नहीं होने की अपील भी की थी। उन्होंने पत्र में में लिखा था, “यह आयोजन पूरी तरह पार्टी संविधान के विरुद्ध है तथा पार्टी अनुशासन के विपरीत और पार्टी को क्षति पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया है। अत: आप तथाकथित ऐसे किसी सम्मेलन में भाग न लें।”
उधर मुलायम सिंह यादव की आज्ञा व इच्छा के विरुद्ध हुए इस विशेष राष्ट्रीय अधिवेशन में सर्वसम्मति से अखिलेश यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया। इसके साथ ही प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। राज्य सभा सांसद अमर सिंह को पार्टी से बाहर कर दिया गया है। इससे पहले पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव ने अधिवेशन में प्रस्ताव पेश किया। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को पार्टी का मार्गदर्शक बना दिया गया। अब देखना दिलचस्प होगा कि ये सियासी नोक झोंक आखिर किस स्तर तक जाती है।