शिखा पाण्डेय,
अभिनेत्री एवं फिल्मकार रेणुका शहाणे का ऐसा मानना है कि भारत में कलाकारों से पहले तो उनकी राय पूछी जाती है, फिर राय रखने पर उसका अलग ही अर्थ बताकर अक्सर उन्हें परेशान किया जाता है। रेणुका ने कहा कि भारतीय कलाकार भी अपना कर भरते हैं। उनके पास भी हॉलीवुड सेलिब्रिटिज की तरह ही बोलने का हक है।
अभिनेत्री रेणुका ने कहा, ‘‘हम करदाता हैं। हमारे पास सभी तरह के निर्णयों में हिस्सा लेने का अधिकार है। यह लोकतंत्र है और यह हमारा अधिकार भी है। दुनिया भर के कलाकार चीजों के बारे में गंभीर रुख अख्तियार करते हैं, चाहे वह जलवायु परिवर्तन हो या राजनीतिक नस्लवाद।” उन्होंने प्रश्न उठाया, ‘‘अगर हॉलीवुड या थाइलैंड या दक्षिण कोरियाई ऐसा कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं कर सकते? यहां के अभिनेताओं को चीजों के बारे में कहने के लिए महत्वपूर्ण क्यों नहीं समझा जाता है?”
रेणुका ने कहा, ‘‘आम तौर पर लोग सोचते हैं कि अभिनेता काफी पैसा कमा रहे हैं और देश के लिए बहुत थोड़ा कर रहे हैं। यह सोच दुर्भाग्यपूर्ण है। आम लोगों में एक तरह की ईर्ष्या है। इसलिए जब उन्हें किसी अभिनेता के कुछ कहने पर उसे परेशान करने का मौका मिलता है तो वे ऐसा करते हैं।”
अभिनेत्री ने एनएफडीसी फिल्म बाजार के 10वें संस्करण में अपनी कहानी ‘त्रिभंगा’ प्रस्तुत करने के दौरान इस विषय पर बात की। उन्होंने कहा कि और महिला कहानीकारों की जरुरत है क्योंकि भारतीय फिल्में, ‘अक्सर पितृसत्ता शहरी महिलाओं को कैसे प्रभावित करती है’, इस हिस्से को छू नहीं पाती हैं।