जल्दबाज़ी में लिया गया नोटबंदी का फ़ैसला पड़ रहा है भारी

अमित द्विवेदी । Navpravah.com

जीडीपी घटने के बाद से ही नोटबंदी को लेकर मोदी सरकार पर हमले तेज़ हो गए हैं. विपक्षी पार्टियों के बाद अब रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने चुप्पी तोड़ी है. राजन के मुताबिक़, उन्होंने इस फ़ैसले पर बार बार गम्भीरता से सोचने के लिए कहा था, लेकिन सरकार ने जल्दबाज़ी में ये फ़ैसला ले लिया और अब ये भारी पड़ रहा है.

राजन की पुस्तक ‘आई डू व्हाट आई डू’ में इस बात का ज़िक्र किया है. पुस्तक में स्पष्ट लिखा है कि उन्होंने नोटबंदी का समर्थन नहीं किया था. उनका मानना था कि इस फैसले से अल्पकाल में होने वाला नुकसान लंबी अवधि में इससे होने वाले फायदों पर भारी पड़ेगा.

राजन की किताब ‘आई डू व्हाट आई डू’ आरबीआई गवर्नर के तौर पर विभिन्न मुद्दों पर दिए गए उनके भाषणों का संग्रह है. किताब राजन और सरकार के खट्टे रिश्ते पर भी रोशनी डालती नज़र आती है. राजन ने स्पष्ट किया कि जब तक मैं गवर्नर था, कभी भी हमसे नोटबंदी के फ़ैसले पर बात नहीं हुई.

नोटबंदी के लगभग एक साल बाद आए राजन के बयान पर भी चर्चा शुरू हो गई है, जबकि राजन ने स्पष्ट किया कि वे चाहते थे कि उनके उत्तराधिकारी को जनता से रूबरू होने का मौक़ा मिलना ही चाहिए था. फ़िलहाल राजन के बयान ने विपक्ष को सरकार पर हमला बोलने का एक और मौक़ा दे दिया है.

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