आनंद रूप द्विवेदी,
एक अहम फैसला देते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने ये स्पष्ट किया कि लम्बे समय के लिए यदि पति पत्नी एक दूसरे से अलग रहते हैं, तो यह विवाह-विच्छेद के लिए एक सशक्त परिस्थिति मानी जा सकती है। यह फैसला एक ऐसे मामले में सुनाया गया, जिसमें पति पत्नी 2005 से अलग रह रहे थे।
कोर्ट ने कहा, ‘यह अलगाव दशक पुराना हो चुका है, जिसमें पति पत्नी के बीच किसी भी प्रकार के समझौते की कोई जगह शेष नहीं है। ये भी कहा जा सकता है कि विवाह असाध्य रूप से टूट चुका है।”
हाईकोर्ट की युगल पीठ ने ये भी स्पष्ट किया कि ‘हिन्दू विवाह अधिनयम, 1955 के अंतर्गत वैवाहिक जीवन में असाध्य अलगाव विवाह-विच्छेद के लिए कोई ख़ास कारण नहीं है। ऐसी परिस्थिति में जब दम्पति एक दूसरे से लम्बे समय तक दूर रहें, यह डायवोर्स के लिए एक भारी परिस्थिति के रूप में शामिल किया जा सकता है।”
उक्त केस में पति ने हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13-B के तहत अलगाव और उत्पीड़न को आधार बनाते हुए डायवोर्स याचिका दायर की थी। पत्नी द्वारा पति के सभी आरोपों को गलत बताया गया। साथ ही उसने पति पर शोषण और अत्याचार का आरोप लगाया था। पत्नी के आरोपों को गलत पाते हुए न्यायालय ने पति और उसके परिवार वालों को बरी कर दिया था साथ ही डायवोर्स के लिए अनुमति भी दे दी गई थी।
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि ‘हमें ये कहते हुए जरा भी संशय नहीं है कि पति और उसके माता पिता की छवि को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। ऐसे में ये सुस्पष्ट होता है कि पत्नी द्वारा पति और उसके परिवार वालों पर अत्याचार किया गया है।’ अपील को हरी झंडी दिखाते हुए न्यायालय ने विवाह विच्छेद की डिक्री को पास कर दिया।