आनंद रूप द्विवेदी,
इसी साल फरवरी में जाट आरक्षण आन्दोलन में मुरथल में कुछ महिलाओं के साथ गैंगरेप की बात सामने आई थी। सारे देश में इस घटना को लेकर कोलाहल मच गया था। दरअसल इस मामले ने न्यायालय में नया रुख ले लिया है। एमीकस क्यूरी अनुपम गुप्ता ने हाईकोर्ट ने एक पत्रकार पर झूठे तथ्यों को गढ़ने का आरोप लगाया है व इस पर केस दर्ज़ किये जाने की सिफारिश की है।
पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में मामले की पैरवी कर रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ़ इंडिया तुषार मेहता ने कोर्ट को सूचित किया कि पत्रकार तारिक अनवर ने अपने ही एक रिश्तेदार की आवाज को रिकॉर्ड कर रेप पीड़ित महिला की माँ के बयान के तौर पर पेश किया। तारिक अनवर सोनीपत में विशेष न्यायालय में प्रस्तुत हुआ और अपना बयान भी दिया था।
मामले में दो गवाह हैं, जिनमें से एक पत्रकार तारिक अनवर भी है। दूसरा गवाह सुरजीत गाग है, जिसने अपने सोशल मीडिया पर एक पत्र पोस्ट किया था, जिसे न्यायालय में बतौर किसी ऑस्ट्रेलियन महिला के ख़त के रूप में प्रस्तुत किया गया था, जिसके साथ बलात्कार होने की बात कही गई थी। ख़त को फर्जी बताते हुए सीनियर एडवोकेट अनुपम गुप्ता ने इन दोनों गवाहों के विरूद्ध फर्जी सबूत बनाने के लिए केस दर्ज करने की सिफारिश की है।
जाट हिंसा की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था, जिसका कार्यभार आईजी (कारागार) ममता सिंह के जिम्मे है। उन्होंने उच्च न्यायालय को बताया कि स्पेशल जज के समक्ष पत्रकार अनवर और गाग के बयानों को कैमरे में रिकॉर्ड किये गए थे व रिकार्डिंग के समय कोई भी पुलिस अधिकारी मौजूद नहीं था। एडवोकेट अनुपम गुप्ता ने ये भी कहा कि इन झूठे गवाहों के चलते रेप केस को बंद नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि एक अन्य गवाह राजकुमार ने विशेष न्यायालय के समक्ष मुरथल में बलात्कार होने की बात कही थी।