सौम्या केसरवानी,
पितृ पक्ष, अपने पितरों के प्रति श्रद्धा और सम्मान दिखाने के लिए यह पर्व मनाया जाता है। पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद माह की पूर्णिमा से हो जाती है।
यह महापर्व पूर्वजों को याद करने, उनको धन्यवाद देने और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है। इसे महापर्व इसलिए कहा गया है, क्योंकि ये 16 दिनों तक चलता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज किसी न किसी रूप में हमारे पास आते है,
इस पर्व पर पितरों के मान सम्मान के लिए पौत्र या पुत्र द्वारा श्राद्ध करवाया जाता है।
पितृ पक्ष में श्राद्ध से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पूर्वज प्रसन्न होकर लम्बी आयु की कामना करते हैं।
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, पितृ पक्ष में कोई भी शुभ काम करने की मनाही है। गरुड़ पुराण में इस बात का भी ज़िक्र है कि श्राद्ध और तर्पण से पितरों को तृप्ति मिलती है, इसी कारण पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण किया जाता है।
एक मान्यता यह भी है कि पक्षी पितरों के विशेष दूत होते हैं, इसलिए कौवों और पक्षियों का श्राध्द का भोजन ग्रहण करना सही मायने में पितरों को प्राप्त होता है, ऐसी मान्यता है।