सौम्या केसरवानी । Navpravah.com
योगी सरकार एक तरफ वीआईपी कल्चर खत्म करने की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के मौजूदा सांसदों और विधायकों के प्रति शिष्टाचार, उनका स्वागत, उनके जलपान और उनकी खातिरदारी के लिए शासन के अधिकारियों को फरमान भी जारी किए जाते हैं।
इस फरमान में जिस प्रकार के विवरण दिए गए हैं, वह VIP कल्चर को और बढ़ाने का कहीं ना कहीं काम करते दिखाई दे रहे हैं, जबकि योगी सरकार यह कहती रही है कि केंद्र की तर्ज पर यूपी में वीआईपी कल्चर खत्म होगा, मतलब कि VIP कल्चर केवल गाड़ियों पर लगने वाली लाल पीली नीली बत्तियों तक ही सीमित है।
शासनादेश में यह कहा गया है कि अगर कोई अधिकारी जनप्रतिनिधि सांसद विधायक का कॉल अटेंड नहीं कर पाते हैं, तो वह तुरंत कॉल बैक करें, जनप्रतिनिधि के जनहित के कार्यों के संबंध में जो भी विचार है उनसे अवगत कराएं।
इस क्रम में सबसे बड़ा फरमान यह आया है कि अधिकारी अब किसी कार्यक्रम में मुख्य अतिथि नहीं बन सकेंगे, यानी शिलान्यास समारोह, किसी भी प्रकार का धन राशि वितरण समारोह, सहायता शिविर में सामग्री का वितरण उद्घाटन आदि समारोहों में अधिकारीगण मुख्य अतिथि की हैसियत से भाग नहीं लेंगे।