सौम्या केसरवानी । Navpravah.com
कल सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक के मुद्दे पर ऐतिहासिक फैसला लिया, जिससे सारे देश मे खुशी की लहर दौड़ गयी है। सभी सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तारीफ कर रहे हैं, मुस्लिम महिलाओं ने मोदी सरकार का धन्यवाद भी किया।
अब मुस्लिम महिलाएं खतने को लेकर भी आवाज उठा रही हैं, मासूमा रानाल्वी नाम की एक मुस्लिम महिला ने पीएम मोदी को खतने के विषय मे एक ख़त लिखा है।
मासूमा बोहरा समुदाय से ताल्लुक रखती है, उन्होंने खत में लिखा है कि – पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर मुस्लिम महिलाओं के दुखों और कष्टों पर बात की थी, ट्रिपल तलाक को महिला विरोधी कहा था, लेकिन हम औरतों को तब तक पूरी आज़ादी नहीं मिल सकती जब तक हमें संस्कृति, परंपरा और धर्म के नाम पर प्रताड़ित किया जाता रहेगा। इस देश की औरतों की सिर्फ़ तीन तलाक ही समस्या नहीं है, औरतों के साथ खतना भी होता है, जो छोटी बच्चियों के साथ किया जाता है।
उन्होंने लिखा कि ख़त के द्वारा मोदी जी आपका ध्यान इस भयानक प्रथा की तरफ़ खींचना चाहती हूं, बोहरा समुदाय में सालों से ‘ख़तना’ किया जा रहा है। ये महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान में बसे हैं। मैं बताती हूं कि मेरे समुदाय में आज भी छोटी बच्चियाँ जैसे ही 7 साल की हो जाती है, उसकी मां या उसे एक दाई या.डॉक्टर के पास ले जाती हैं, और फिर उसका प्राइवेट अंग कटवा दिया जाता है, इस प्रथा का एकमात्र उद्देश्य है, बच्ची या महिला के यौन इच्छाओं को दबाना है। 2015 में बोहरा समुदाय की कुछ महिलाओं ने एकजुट होकर ‘WeSpeakOut On FGM’ नाम से एक कैंपेन शुरू किया, जो अपने दुख दर्द को आपस मे बांटने का काम करती हैं।
उन्होंने आगे लिखा कि मुझे आपकी बातें सुनकर सुकून मिला कि मुस्लिम महिलाओं की हक की रक्षा करना भी सरकार का कर्त्वय है, इसलिये मेरी आपसे दरख्वास्त है कि मेरी और मेरी बहनों की, जो FGM की शिकार हुईं हैं कि बात सुनी जाए। 2015 में हमने ‘WeSpeakOut On FGM’ नाम से Change.org पर एक कैंपन की शुरुआत की थी।
इसे बंद करने के समर्थन में हमें 9 हजार से ज़्यादा साइन मिल गए हैं, लेकिन अब तक सरकार की तरफ़ से हमें कोई जवाब नहीं मिला है। मैं सरकार से ये निवेदन करती हूं कि जल्द से जल्द इस कुप्रथा को ख़त्म करने पर विचार किया जाये और हम जैसी कई लड़कियों और महिलाओं को ऐसी कुप्रथा से बचाया जाए।